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GSVM के नेत्र विभाग में शुरू हुई प्रदेश की पहली वेट लैब

यूपी के कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में प्रदेश की पहली वेट लैब शुरू हुई. इस मौके पर हैलट हॉस्पिटल की अधीक्षिका डॉ ज्योति सक्सेना, नेत्र विभाग की डॉ. पारुल सिंह समेत नेत्र विभाग के सभी फैकल्टी मौजूद रहे.

GSVM के नेत्र विभाग में शुरू हुई प्रदेश की पहली वेट लैब
GSVM के नेत्र विभाग में शुरू हुई प्रदेश की पहली वेट लैब

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Published : Nov 25, 2020, 10:29 PM IST

कानपुर:जिले के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में बुधवार को यूपी की पहली वेट लैब की शुरुआत हुई. लैब का उद्घाटन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल ने किया. लैब के संबंध में विभागाध्यक्ष डॉ. परवेज ने बताया कि इस लैब में बकरी की आंख और आर्टिफिशियल आंख पर जूनियर डॉक्टर आंख की किसी भी सर्जरी की प्रैक्टिस करेंगे. इस मौके पर हैलट हॉस्पिटल की अधीक्षिका डॉ ज्योति सक्सेना, नेत्र विभाग की डॉ. पारुल सिंह समेत नेत्र विभाग के सभी फैकल्टी मौजूद रहे.

GSVM के नेत्र विभाग में शुरू हुई प्रदेश की पहली वेट लैब.
'जूनियर 24 घंटे में कभी भी कर सकते हैं सर्जरी का डेमो'
डॉ. परवेज खान ने बताया कि विभाग में फेको मशीन माइक्रोस्कोप और आर्टिफिशियल आई भी उपलब्ध कराई गई है. कोविड मरीजों के एडमिशन कम होने के कारण अब जूनियर डॉक्टरों की ट्रेनिंग चलती रहेगी. इसके लिए वेट लैब की स्थापना की गई है. यह तकनीक विदेशों में डॉक्टर की ट्रेनिंग के लिए आम तौर पर इस्तेमाल की जा रही है. इससे जूनियर डॉक्टर 24 घंटे में कभी भी इस लैब की मदद से कोई भी प्रक्रिया कर सकते हैं.
प्रदेश में इस तरह की पहली लैब
डॉ. आर बी कमल ने बताया कि यह लैब पूरे प्रदेश में अपने आप मे पहली है, क्योंकि यहां पर नेत्र विभाग की फैकल्टी और जूनियर डॉक्टर आर्टिफिशियल और बकरी की आंख पर लाइव डेमो के माध्यम से विभिन्न तरह की सर्जरी कर सकेंगे. ऐसी लैब अभी तक सिर्फ साउथ इंडिया के राज्यों में थी, लेकिन अब इसकी शुरुआत कानपुर में भी होने जा रही है.

आगे बाहर के स्टूडेंट्स भी ले सकेंगे वर्कशॉप
डॉ. आर बी कमल ने बताया कि शुरुआती दौर में सिर्फ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ही जूनियर डॉक्टर्स इस लैब में प्रैक्टिस कर सकेंगे. आगे बाहर के बच्चों के लिए भी 7 दिन की वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा ताकि वो भी इसका लाभ ले सकें.

कोरोना काल में भी जारी रहा कार्निया प्रत्यारोपण
डॉ. परवेज खान ने बताया कि कोरोना काल के बाद भी नेत्र विभाग के डॉक्टर द्वारा कई रिसर्च पेपर पब्लिश किए गए. जिसमें दो पेपर इंटरनेशनल जनरल्स में 10 पेपर नेशनल जर्नल्स में पब्लिश हुए. वहीं कोरोना के दौरान कार्निया प्रत्यारोपण का काम भी बिना किसी रूकावट के चलता रहा है. इस दौरान 11 लोगों ने कार्निया दान किया, जिससे 22 मरीजों का कार्निया प्रत्यारोपण किया गया.

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