कानपुर: होली का त्योहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है. मथुरा की लट्ठमार होली और कानपुर के गुलाल से होली की तो बात ही निराली है. कानपुर में बना गुलाल न सिर्फ पूरे देश में होली के उत्सव में रंग से भरता है बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक निर्यात भी होता है. कानपुर में बना गुलाल शहर के साथ ही असम, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश और राजस्थान तक जाता है. नेपाल में भी कानपुर के गुलाल की धूम रहती है.
मशहूर है कानपुर का गुलाल, नेपाल तक बिखेरता है अपना रंग
होली की बात हो और कानपुर के गुलाल के नाम न आए ऐसा तो हो नहीं सकता. कानपुर में बना गुलाल न सिर्फ पूरे देश में होली के उत्सव में रंग से भरता है बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक निर्यात भी होता है.
क्यों खास है यहां का गुलाल
कानपुर का गुलाल अपने आप में खास है क्योंकि यह प्राकृतिक रंग से तैयार किया जाता है. इसमें किसी भी प्रकार की कोई रसायनिक मिलावट नहीं की जाती है बल्कि यह आरारोट से बनाया जाता है. आरारोट में पानी और रंग मिलाकर इसे तैयार किया जाता है जिससे यह रसायन मुक्त होता है. इस गुलाल से किसी भी प्रकार की कोई भी त्वचा की समस्या नहीं होती है.
तरह-तरह के रंगों का होता है इस्तेमाल
कानपुर में गुलाल कई रंगों से तैयार किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से नारंगी, गुलाबी, हरा, पीला, नीला रंग शामिल हैं. इस साल भगवा गुलाल की भी मांग बहुत ज्यादा है. आरारोट के दामों में गिरावट के चलते इस बार होली में इस्तेमाल होने वाले गुलाल का रेट भी कम है. पिछले साल की तुलना में गुलाल के रेट काफी कम हो गए हैं. पिछले साल गुलाल 55 रुपये किलो बिक रहा था तो वहीं इस साल आरारोट के दामों में गिरावट होने के चलते गुलाल के दामों में गिरावट आई है. इस साल गुलाल 45 रुपये किलो बिक रहा है.