कानपुर: देश के सबसे बड़े करगिल युद्ध के 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी भी उन 527 जवानों की कुर्बानी याद की जाती है तो आंखें नम हो जाती हैं. शहादत और गर्व से भरे इस दिन को भुला पाना भारत के लिए शायद ही न के बराबर होगा. ऐसे ही एक जांबाज योद्धा थे कानपुर के अविनाश सिंह भदौरिया.
करगिल विजय दिवस पर परिजनों ने उन्हें पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धाजंलि दी. इस मौके पर परिजनों के साथ ही आस पड़ोस के लोग भी शामिल थे. यहां दो मिनट के मौन के बाद जैसे लोगों ने पुष्प चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाया तो सभी भावुक हो गए, क्योंकि मेजर अविनाश सिंह भदौरिया उन शहीदों में एक थे, जिन्होंने गोली लगने के बाद भी तीन पाकिस्तानियों को युद्ध में मार गिराया था.
करगिल युद्ध जिक्र करते हुए शहीद मेजर अविनाश का परिवार आज भी गर्व महसूस करता है. उनके भाई अमित भदौरिया ने कहा कि हमारा देश आज वीर जवानों की वजह से ही सुरक्षित है.