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खाली खेत को बना दिया आईलैंड, गूगल ने की तारीफ

कन्नौज की 68 साल की किरण ने अपने खेत में ऐसा आईलैंड बना दिया है, जो इलाके में पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाने लगा है. यहां तक कि गूगल ने भी पत्र भेजकर इसकी तारीफ की और इसकी तस्वीर जारी की. 11 लाख में तैयार हुए इस आईलैंड से अब हर साल 25 लाख की कमाई हो रही है.

11 लाख में तैयार हुए इस आईलैंड से हर साल 25 लाख की कमाई हो रही है.
11 लाख में तैयार हुए इस आईलैंड से हर साल 25 लाख की कमाई हो रही है.

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Published : Nov 27, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Nov 27, 2020, 8:12 PM IST

कन्नौज: कहते हैं जिसके सपने बड़े हों, सोच नई हो उसके हौसले ऐसी कहानियां रचते हैं, जो दूसरे सुनाते हैं. ऐसा ही कुछ कर डाला है कन्नौज की किरण ने, आज जिसकी कहानी हम आपको सुना रहे हैं. कहानी है 68 साल की किरण की और कन्नौज के आईलैंड की, जिन्होंने अपने 25 बीघे के खेत को आईलैंड में तब्दील कर डाला. अब यह आईलैंड पर्यटन स्थल बन गया है और गूगल इसकी तारीफ कर रहा है. 11 लाख में तैयार हुए इस आईलैंड से अब हर साल 25 लाख की कमाई हो रही है.

11 लाख में तैयार हुए इस आईलैंड से हर साल 25 लाख की कमाई हो रही है.

खेत को पहले तालाब बनाया

किरण के 25 बीघे के खेत में साल के ज्यादातर महीनों में पानी लगा रहता था और खेती भी नहीं हो पाती थी. 10वीं तक पढ़ी किरण ने इस समस्या को ही समाधान बनाने की सोची और अपने बेटे शैलेंद्र के साथ खेत को तालाब बनाने में जुट गईं. जिले के उमर्दा ब्लॉक के गुंदाहा गांव में उनकी जमीन है, जिस पर साल 2016 में जल प्लावन योजना के तहत प्रशासन से दो लाख रुपये मिले. कुछ जमा पूंजी थी और कुछ रिश्तेदारों की मदद से मछली पालन शुरू किया. पहले साल कुछ मुनाफा होने पर काम को बड़ा रूप दिया. तालाब के बीच में एक बीघे का टापू बनाया. उसमें आम, अमरूद, केला, करौंदा, पपीता, सहजन के पेड़ और फूलाें के 2500 पौधे लगाकर बगीचा बना दिया. 25 बीघे के तालाब में काम शुरू करने में 11 लाख रुपये खर्च आया.

गूगल दे चुका है बधाई

किरण के बेटे शैलेंद्र सिंह ने बताया कि एक साल पहले गूगल की ओर से पत्र आया था. इसमें तालाब के बीच में बने टापू और फलों के बाग के सुंदर नजारों की प्रशंसा की गई थी. इसके बाद गूगल के कर्मचारियों ने वेबसाइट पर फोटो भी अपलोड की थी.

बन गया पर्यटन स्थल

पानी के बीच बने इस बगीचे को देखने-घूमने आसपास से लोग आने लगे. कन्नौज शहर और तिर्वा से रोज कई परिवार यहां पहुंचते हैं. यहां आने वाले लोग बोटिंग भी करते हैं और यहीं उनके लिए खाने-पीने का भी इंतजाम रहता है. शैलेंद्र बताते हैं कि अभी उनकी मां बीमार हैं. इसलिए आईलैंड की देखभाल वे अकेले ही कर रहे हैं. उनकी मां की सोच ने आज गांव में खाली पड़े खेत को सुंदर पर्यटन स्थल का रूप दे दिया है. जिससे आमदनी भी हो रही है और लोगों को घूमने का बेहतर विकल्प भी मिला है.

मछली पालन का दे रहीं प्रशिक्षण

यह सारा कारोबार मछलीपालन से शुरू हुआ था. उसी से अब भी सबसे ज्यादा आय होती है. शैलेंद्र बताते हैं कि मां को देखकर लोग मछली पालन के व्यवसाय से जुड़ रहे हैं. इसके लिए उन्हें यहां ट्रेनिंग भी दी जाती है. आईलैंड पर ही सोलर पैनल लगाया गया है, जिससे बिजली की जरूरत पूरी हो जाती है. इसके अलावा यहां तीन सोलर पंप भी लगे हुए हैं. तालाब में पानी का जलस्तर कम होने पर नलकूपों से पानी भरा जाता है. इसके अलावा इन्हीं नलकूपों से बाग में लगे पेड़-पौधों की भी सिंचाई की जाती है.

तालाब में हैं कई प्रजातियों की मछलियां

शैलेंद्र बताते हैं कि तालाब में कत्तल, नैन, चाइना फिश, सीलन, ग्रास कटर और सिल्वर मछलियां हैं. प्रतिबंधित मछलियों को छोड़कर करीब-करीब हर किस्म की मछलियां उनके तालाब में हैं, जिससे हर साल करीब 25 लाख की आमदनी हो जाती है.

Last Updated : Nov 27, 2020, 8:12 PM IST

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