झांसी: विधानसभा चुनाव 2022 की सरगर्मियां दिखाई देने लगी हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा की झांसी सदर सीट बुन्देलखण्ड की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है और फिलहाल यह राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बन चुकी है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बुन्देलखण्ड की 19 में से दो विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जिनमें से एक चरखारी तो दूसरी झांसी सदर सीट थी. चरखारी पर उमा भारती और झांसी सदर पर रवि शर्मा को जीत मिली थी. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के रवि शर्मा ने दुबारा जीत हासिल की मोदी लहर के चलते 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बुन्देलखण्ड की सभी 19 सीटें भाजपा के खाते में गईं.
झांसी सदर विधानसभा सीट पर वर्तमान में कुल 4,02,757 मतदाता हैं. इनमें पुरुष 2,16,405, महिला 1,86,328 और थर्ड जेंडर वोटर 24 हैं. झांसी सदर सीट पर जातीय समीकरणों के लिहाज से ब्राह्मण वोटर सबसे अधिक निर्णायक माना जाता है. संख्या को लेकर जरूर यहां मतभिन्नता दिखाई देती है. अन्य बिरादरियों के मतदाता अलग-अलग चुनाव में बदलते रुझानों के मुताबिक मतदान करते रहे हैं. सियासी दल जिन जातीय आंकड़ों के सहारे वोटों को साधने की कोशिश करते हैं, वे आंकड़े कई बार अतिरंजित और विरोधाभासी भी साबित होते दिखाई देते हैं.
झांसी सदर विधानसभा सीट पर दस सालों से काबिज है BJP, विपक्षी दल दमखम दिखाने की कर रहे तैयारी
झांसी सदर विधानसभा झांसी जिले की मुख्य सीट मानी जाती है.जातीय समीकरणों के लिहाज से इस सीट पर ब्राह्मण वोटरों को सबसे अधिक निर्णायक माना जाता है. संख्या को लेकर जरूर मतभिन्नता दिखाई देती है.इसके अलावा मुस्लिम, यादव, अहिरवार वोटर भी निर्णायक भूमिका अदा करके हैं.अन्य बिरादरियों के मतदाता अलग-अलग चुनाव में बदलते रुझानों के मुताबिक मतदान करते रहे हैं. आइये जानते हैं इस सीट का क्या है समीकरण...
नगर निगम झांसी का विकास स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हो रहा है, लेकिन अधिकांश योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को बेहतर सेवा देने के मकसद से मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड किया गया है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. रोजगार, बिजली की बढ़ी दरें, सस्ती शिक्षा, सड़कें और पानी की उपलब्धता इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के लिए प्रमुख मुद्दा होंगे.
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