हरदोई: जिला अस्पताल हमेशा से ही अपने उदासीन रवैये को लेकर चर्चाओं में रहा है और लापरवाहियों के चलते आये दिन सुर्खियां भी बटोरता नजर आता है. इस वर्ष गर्मी के मौसम में फिर से जिला अस्पताल दवाओं के अभाव से जूझ रहा है. गर्मी का मौसम आने के बाद तमाम तरह की बीमारियों ने भी दस्तक दे दी है, जिससे अस्पताल में मरीजों की संख्या भी प्रतिदिन बढ़ रही है.
सरकारी अस्पताल में दवाओं की कमी. आर्थिक रूप से कमजोर व ग्रामीण इलाकों के मरीज सरकारी अस्पताल में आस लेकर आते हैं कि उन्हें निशुल्क उपचार और दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी, लेकिन जिला अस्पताल में न तो मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टरों की तैनाती हो पाई है और न ही मरीजों को निशुल्क दवाएं मिल पा रही हैं. यहां आने वाले मरीजों को बाहर से ही दवाएं खरीदनीपड़ रही हैं.
पैरासिटामॉल के सहारे सरकारी अस्पताल
जब ईटीवी भारत की टीम ने जिला अस्पताल में आये मरीजों से बात की तो जमीनी हकीकत सामने आई. यहां आए एक युवक कपिल चौहान ने बताया कि जिला अस्पताल में जब भी इलाज के लिए मरीज आते हैं, तो उन्हें सिर्फ पैरासिटामॉल और दर्द की एक टैबलेट पकड़ा दी जाती है. कपिल ने कहा कि हरदोई का जिला अस्पताल मानों पैरासिटामॉल के सहारे ही चल रहा है. ऐसे में मरीजों को यहां से हर बार बिना इलाज कराए ही निराश होकर लौटना पड़ता है. लंबे समय से यहां न तो हृदय रोग विशेषज्ञ हैं और न ही फिजिशियन वहीं अब दवाओं की कमी भी अब मरीजों के लिए सर दर्द बन गयी है.
बाहर से लेते हैं दवा
वैसे तो सरकारी अस्पताल में करीब 24 अलग-अलग दवाइयां होनी चाहिए, लेकिन यहां महज दो तीन दवाइयों से ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है. मरीज के साथ अस्पताल आए वकील गजेंद्र कुमार ने कहा कि यहां दवाओं का अभाव होने के कारण चिकित्सक भी बाहर की दवाओं को ही लेने की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि अक्सर बुखार या अन्य छोटी बड़ी समस्याओं को लेकर उनका अस्पताल आना हो ही जाता है. हमेशा डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाएं लिख दी जाती हैं. वहीं अस्पताल आये एक अन्य व्यक्ति शिवकिशोर ने भी इसी प्रकार के आरोप हरदोई जिला अस्पताल प्रबंधन पर लगाए.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले में जब अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके शाक्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बजट के अभाव में दवा कंपनियों का समय से भुगतान नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि भुगतान होते ही अस्पताल में सभी जरूरत की दवाओं की पूर्ति हो जाएगी.