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हमीरपुर : पपीता बनाएगा किसानों को आत्मनिर्भर

बुंदेलखंड के किसान प्राकृतिक आपदाओं से लगातार जूझते रहे हैं. किसानों पर कभी बारिश तो कभी सूखे की मार पड़ती रहती है. उन्हें अपने परिवार का पालन-पोषण करने तक के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में जिले के कुछ किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीक की मदद से पपीते की खेती करना शुरू किया है.

हमीरपुर : पपीता बनाएगा किसानों को आत्मनिर्भर
हमीरपुर : पपीता बनाएगा किसानों को आत्मनिर्भर

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Published : Mar 13, 2021, 5:17 PM IST

हमीरपुर : उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के किसान प्राकृतिक आपदाओं से लगातार जूझते रहे हैं. किसानों पर कभी बारिश तो कभी सूखे की मार पड़ती रहती है. किसानों को अपने परिवार का पालन करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में जिले के कुछ किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर नई तकनीक की मदद से पपीते की खेती करना शुरू किया है. किसानों को पपीते की खेती से भारी लाभ भी हो रहा है. जिले के मुस्कुरा गांव निवासी किसान महेंद्र प्रताप सिंह राजपूत ने उन्नत तकनीक से पपीते की फसल उगाकर अच्छा मुनाफा कमाया है.

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पपीते की खेती से किसान एक साल में कमा सकते हैं सात से आठ लाख
किसान महेंद्र प्रताप ने अपनी परंपरागत खेती को छोड़कर नई तकनीक से खेती करने की सोची. उन्होंने अपने दो बीघे खेत में पपीते की पौध लगवा दी. महेंद्र बताते हैं कि उन्होंने 1,000 से अधिक पपीते के पौधे लगाए जिससे वह साल में दो बार फसल लेंगे. वे बताते हैं कि एक साल में उन्हें सात से आठ लाख के बीच मुनाफा होने की उम्मीद है जबकि पारंपरिक खेती में पानी की किल्लत और प्राकृतिक कारणों के चलते इतनी कमाई संभव नहीं है. महेंद्र बताते हैं कि उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क कर तकनीक की जानकारी ली. पौधों को निश्चित दूरी पर लगाया गया. साथ ही पौधों को लगाने से पहले गड्ढे खोदकर उसमें खाद को भी सड़ाया गया. इससे पौधों की बढ़वार अच्छी होने के साथ ही उत्पादन भी अच्छा होने की उम्मीद है.

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पपीते की खेती पर सरकार देती है सब्सिडी
वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक पवन पांडे ने बताया कि जिले के किसान अब धीरे-धीरे पारंपरिक खेती के अलावा अन्य फसलों की ओर भी रुख कर रहे हैं. इस साल उद्यान विभाग को पपीते की खेती के लिए पांच हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया था. इसे विभाग द्वारा पूरा भी कर लिया गया है. पपीते की खेती करने पर सरकार द्वारा किसानों को प्रति हेक्टेयर 30 हजार की सब्सिडी भी दी जाती है. जहां पारंपरिक खेती में किसानों की आय अधिक नहीं होती थी, वहीं नई तकनीक से अन्य फसलें उगाकर किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.

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