गोरखपुर:शहर का सबसे पुराना और महत्वपूर्ण गिरजाघर क्राइस्ट गिरजाघर है. यह पिछले 180 साल से अपनी भव्यता और महत्ता के लिए जाना जाता है. न सिर्फ गोरखपुर, बल्कि आसपास के कई अन्य जिलों से लोग यहां आते हैं. क्रिसमस के मौके पर गिरजाघर को सजाया जाता है और इसकी शोभा देखते ही बनती है. साल 1820 में गोरखपुर के तत्कालीन कमिश्नर बिएम बर्ड ने इस गिरजाघर की नींव रखी थी, जो 1830 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ.
इस गिरजाघर का 1941 में कोलकाता के मैट्रोपॉलिटेन ने उद्घाटन किया था. ईसाई समाज में उद्घाटन को पवित्रीकरण कहा जाता है. इसके क्रियाशील होने के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अधिकारी प्रार्थना करने आने लगे.
इस गिरजाघर के प्रधान पुरोहित रेवरेन्ट डीआर लाल बताते हैं कि भारत की आजादी से पहले इस गिरजाघर में सिर्फ ब्रिटिश अधिकारियों को ही प्रवेश मिलता था. वह यहां पर बैठकर जिले की गतिविधियों पर चर्चा तो करते ही थे, साथ ही नई-नई योजनाओं की रचना भी करते थे. देश की आजादी के बाद यहां का माहौल बदला और यह गिरजाघर सभी के लिए खोल दिया गया. अब यहां हर धर्म-समाज के लोग बिना किसी रोक-टोक के आते हैं.