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पूर्वांचल बनेगा इको टूरिज्म हब: मंत्री दारा चौहान

गोरखपुर विश्वविद्यालय में पूर्वांचल के सतत विकास पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार और सेमिनार में वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि सीएम योगी की अगुवाई में पूर्वांचल इको टूरिज्म का हब बनेगा. उन्होंने यह भी कहा कि वनवासी क्षेत्रों में स्टे होम की योजना से ग्रामीण पर्यटन के साथ वन क्षेत्रों में रहने वालों की आय बढ़ेगी.

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Published : Dec 13, 2020, 5:37 AM IST

योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर: पूर्वांचल में इको टूरिज्म के क्षेत्र में विकास और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष रुचि से यह क्षेत्र इसका हब बनेगा. मुख्यमंत्री ने उपेक्षित पड़े विशाल नैसर्गिक झील रामगढ़ का कायाकल्प कर दिया है. यह झील आने वाले दिनों में पूर्वांचल के इको टूरिज्म का नेतृत्व करेगी. यह बातें प्रदेश के वन, पर्यावरण और जंतु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहीं. वह गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में नियोजन विभाग और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त बैनर तले शनिवार को आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार और संगोष्ठी के अंतिम दिन प्राथमिक क्षेत्र के आठवें सत्र की अध्यक्षता करने के दौरान कही.

वन मंत्री ने कहा कि इको टूरिज्म के लिए पूर्वांचल के गोरखपुर में रामगढ़ झील, सन्तकबीरनगर का बखिरा ताल, महराजगंज का सोहगीबरवा का नजारा मसूरी के केम्पटी फाल जैसा मनमोहक है. महराजगंज में टाइगर रेस्क्यू सेंटर और गिद्ध संरक्षण केंद्र स्थापित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से जनवरी में दर्शकों के लिए खुलने जा रहा चिड़ियाघर इको टूरिज़्म की संभावनाओं को और बढ़ा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की योजना वनवासी क्षेत्रों में स्टे होम बनाकर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने और वन क्षेत्रों में रहने वालों का आय बढ़ाने की भी है. उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में प्रदेश के इको टूरिज्म स्थलों पर फुटफाल में 20 गुना तक इजाफा हुआ है.

अगले साल पौधरोपण का बनेगा एक और रिकॉर्ड

वन मंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए रिकॉर्ड पौधरोपण का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले साल एक नया रिकॉर्ड बनेगा. इस सत्र के मुख्य वक्ता प्रमुख सचिव वन, सुधीर गर्ग ने कहा कि ब्रिटिश काल में जंगलों में बसाए गए वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों को समाज और विकास की मुख्यधारा से जोड़ दिया है. वन भू भाग के इन वनटांगिया गांवों में स्टे होम की सुविधा विकसित कर यहां के निवासियों के लिए आय सृजन का नया द्वार खोला जा सकता है. गर्ग ने कहा कि ताल तलैयों के प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध पूर्वांचल में इको टूरिज्म और एडवेंचरस टूरिज्म की बहुत संभावनाएं हैं.

इन लोगों ने कई विषयों पर दी जानकारी

इस सत्र में प्रमुख सचिव, वन ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर सभी को सचेत रहने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने के लिए आधिकाधिक पौधरोपण करना समय की मांग है. प्राथमिक क्षेत्र के आठवें तकनीकी क्षेत्र में मुख्य वन संरक्षक, गोरखपुर भीमसेन ने पूर्वांचल में वन क्षेत्र के विकास की स्थिति बताई. देहरादून से फॉरेस्ट पैथोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ अमित पांडेय ने पूर्वांचल में साखू के पेड़ों के सूखने के पैथालोजिकल कारणों की जानकारी दी. सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, गोरखपुर के डॉ बीएन सिंह ने पूर्वांचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सांभा सब-1 प्रजाति के चावल पर किए गए शोध अध्ययन के विषय में बताया. संजय मल्ल ने पूर्वांचल में वन संपदा पर आधारित उद्योगों की संभावनाओं के बारे में चर्चा की.

कालानमक वेरायटी के चावल से होती है खूब आय

सीजीएम एस पांडेय, इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर ऑफ साउथ एशिया के निदेशक डॉ उमाशंकर सिंह ने पूर्वांचल में आलू की गुणवत्ता में सुधार की तकनीक की जानकारी दी. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पल्लवपुरम मेरठ के कुलपति डॉ आरके मित्तल ने ऑर्गेनिक खेती को अर्थव्यवस्था के लिए वरदान बताया. सीमैप लखनऊ के निदेशक डॉ प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने पूर्वांचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारम्परिक के साथ सगंध पौधों की खेती के एकीकरण और पीआरडीएफ के डॉ रामचेत चौधरी ने कृषि क्षेत्र की ओडीओपी में शामिल काला नमक चावल की खेती से आय बढ़ाने पर अपने विचार व्यक्त किये.

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