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अनाथ बच्चों को अपनाने के लिए आगे आइए, सरकार दे रही ये लाभ

गोरखपुर जिले में सरकारी या निजी अनाथ आश्रम (government or private orphanage) में पल रहे बच्चों को कोई अपना बनाने वाला नहीं मिल रहा है. आखिर इसकी पीछे की वजह क्या है, जानने की लिए पढ़िए पूरी खबर..

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अनाथ आश्रम

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Published : Nov 14, 2022, 4:42 PM IST

गोरखपुरः सरकारी या निजी अनाथ आश्रम (government or private orphanage) में पल रहे बच्चों को कोई अपना बनाने वाला नहीं मिल रहा है, जबकि आश्रम में पलते हुए बच्चे बड़े होने के साथ ऐसी जरूरतों को महसूस करते हैं. गोरखपुर के अनाथ आश्रमों की यही स्थिति है. वहीं, फास्टर केयर स्कीम (Faster Care Scheme) के तहत 'पालक देखभाल योजना' के तहत इन बच्चों को गोद लिया जा सकता है. इस स्कीम में बच्चों और गोद लेने वाले परिवार का बाल कल्याण समिति(CWC) बाकायदा सर्वे का चयन करती है. इसमें पात्र पाए जाने वाले बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया (child adoption process) पूरी की जाती है, लेकिन इसके तहत भी बच्चा गोद लेने वाले लोग आगे नहीं आ रहे.

जिला प्रोबेशन अधिकारी सर्वजीत सिंह

जिला प्रोबेशन अधिकारी सर्वजीत सिंह के मुताबिक, बच्चा गोद देने की यह प्रक्रिया अल्प अवधि जो अधिकतम तीन साल की है, जिसके तहत बच्चे का भरण पोषण, लालन पलान करना है. शायद यह वजह भी हो सकती है इच्छुक परिवार आगे नहीं आ रहे. सीडब्ल्यूसी कमेटी इस अवधि के बीत जाने के बाद बच्चे और परिवार की सहमति के बाद पालन पोषण, गोद लेने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय करती है.

हालांकि परिजनों को इसके तहत हर महीने बच्चे के भरण-पोषण के लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग से 2,000 रुपये प्रति माह दिए जाने का प्रावधान भी है. बस इसके लिए सीडब्ल्यूसी के दफ्तर में आवेदन करना होता है और जांच के बाद बच्चा गोद लेने वाले को सौंप दिया जाता है, लेकिन गोरखपुर कार्यालय में कोई आवेदन नहीं आने से इस प्रक्रिया को प्रारंभ करना और आगे बढ़ाना कठिन हो रहा है. अनाथ और निराश्रित बच्चों की देखभाल और संरक्षण के तहत फास्टर कैम स्कीम 'पालक देखभाल योजना' चल रही है. संतानहीन या फिर किसी बच्चे को गोद लेने की चाहत रखने वाले लोग इस योजना का लाभ ले सकते हैं, लेकिन आज तक एक भी बच्चे को इस योजना के तहत गोद नहीं दिया जा सका है.

जिला प्रोबेशन अधिकारी सर्वजीत सिंह ने बताया कि जो पात्र हैं उन्हें ही अनाथ बच्चों को गोद दिया जाएगा, जो देखरेख करने योग्य हों. बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) थानों से बच्चों को गोद लेने वालों का पूरा रिकॉर्ड मगाती है. इसमें पता किया जाता है कि उनका रहन सहन कैसा है. मेडिकल सर्टिफिकेट भी लिया जाता है, ताकि कोई बीमारी तो नहीं. उन्होंने बताया कि शायद इस स्कीम को लोगों के द्वारा स्वीकार इसलिए नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इसमें कंडीशन यह है कि गोद लेने वाले बच्चे को 3 वर्ष तक के लिए ही पहले चरण में इच्छुक व्यक्ति को दिया जाता है.

इस दौरान उसका पालन पोषण और संवर्धन सीडब्ल्यूसी समिति भी देखती रहती है. इसके बाद बच्चे को संस्थान में वापस करना होता है. इस योजना में देखा जाता है कि बच्चा ठीक तरीके से रहा या नहीं. बच्चा ठीक ढंग से मिला तो ठीक नहीं, तो उसे वापस ले लिया जाता है. इसके लिए दो अवधि बनाई गई है. अल्पावधि में 4 से 6 माह और इसके बाद 6 माह से अट्ठारह माह से तीन साल तक के लिए बच्चों को गोद लिया जाएगा. बच्चों को परेशानी होने पर यह अवधि निरस्त भी कर दी जाएगी. बाल कल्याण समिति ऐसे बच्चों का परिक्षण करती है, जो अनाथ आश्रम में रहने में असहज महसूस करते हैं. इसके लिए जिला बाल संरक्षण विभाग के नेतृत्व में टीम इस स्कीम को अमलीजामा पहनाती है.

लड़का और लड़की के गोद लेने की प्रक्रिया में कोई अंतर नहीं है. एक सामान्य ब्यक्ति बच्चे को गोद के सकता है, जो कानूनी सामाजिक या आर्थिक पहलू की डिटेल जानकारी CARA के पोर्टल से ले सकता है. इससे वह बच्चे को स्थायी तौर पर भी गोद लेने में सफल हो सकता है. गोद लेने की सारी प्रक्रिया CARA के माध्यम से होती है. इसके लिए भावी पैरेंट को CARA के साइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है और फिर उनका सोशल इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट नजदीकी अडॉप्क्शन एजेंसी या DCPU (डिस्टिक चाइल्ड प्रोटक्शन यूनिट) ऑफिस द्वारा किया जाता है.

इसके बाद आवेदक को अपनी बारी का इंतजार करना होता है. नंबर आने पर एडॉप्शन के लिए बच्चा पोर्टल पर दिखेगा, जिसे उन्हें चुनना होता है. चुनने के बाद बच्चे के एजेंसी का पता भावी पैरेंट को पोर्टल से मिल जाएगा. फिर एजेंसी पर जाकर बच्चे को फिजिकली देखने के बाद पसंद करने पर प्रक्रिया को पुर्ण करते हुए एजेंसी द्वारा बच्चे को भावी पेरेंट्स को फास्टर केयर स्कीम में दे दिया जाता है. एजेंसी एडॉप्शन के संबंध में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के कोर्ट में रिट फाइल करती है. कोर्ट से आर्डर के बाद ही एडॉप्शन की प्रक्रिया पूर्ण होती है.

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