गोरखपुर: गोरखनाथ मंदिर से करीब 15 किमी दूर उत्तर दिशा में भटहट बांसस्थान रोड पर सदियों पुराना बामंत मां का मंदिर है, जो भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है. मंदिर में दो सौ सालों से ब्रिटिश शासन काल से ही ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला नवरात्र के पहले दिन से लेकर पूर्नवासी तक लगता है.
बामंत मां के मंदिर में लगने वाले मेले में पड़ोसी देश नेपाल सहित पड़ोसी प्रदेश बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों से लाखों की संख्या में भक्त गण मनोकामना पूरी होने पर पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में दर्शन करने आते हैं. वहीं सुरक्षा की दृष्टि से गुलरिहा थाना की पुलिस और पीएससी को तैनात किया जाता है.
वैसे तो शक्ति पीठ बामंत मां के बहुत सारे चमत्कार की कहानियां स्थानीय लोगों द्वारा सुनने को मिलती हैं, जिसमें एक चमत्कार की कहानी सदियों से मशहूर है. बताया जाता है कि दौ सौ साल पहले स्थानीय निवासी गुनई यादव नामक एक महीवाल की भैस जंगल में चरते-चरते खो गई थी. महीवाल अपने मवेशी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा, लेकिन उसके मवेशी का पता नहीं लग पाया.
खोजबीन करता हुआ गुनई यादव महीवाल थक-हार कर माता के स्थान पर पहुंचा. उस समय माता के एक पिंडी को स्थापित कर लोग पूजा-अर्चना करते थे. महीवाल ने बामंत मां से खोए हुए मवेशियों की प्राप्ती के लिए प्रार्थना की और कहा कि मवेशी मिलने पर वह इसे मां का चमत्कार समझेगा. ये बातें कहते हुऐ महीवाल पास के चिलुआताल नदी में अपनी प्यास बुझाने चला गया. महीवाल वापस आकर देखा तो उसकी भैस वहीं खड़ी थी, लेकिन महीवाल को माता के चमत्कार पर विश्वास नहीं हुआ और अपने मवेशियों को लेकर घर चला गया.