फिरोजाबाद:प्राकृतिक आपदा के दौरान जो फसलें बर्बाद हो जाती हैं. उन्हें पैदा करनेवाला किसान भी बर्बाद हो जाता है. ऐसे में किसानों को खराब हुई फसलों का मुआवजा मिल सके. इसके लिए फसल बीमा योजना चलाई जा रही है, लेकिन फिरोजाबाद जनपद में यह फसल बीमा योजना किसानों की बेरुखी की शिकार बन कर रह गई है.
जानकारी देते किसान और उप निदेशक कृषि प्रसार एच एन सिंह. गौरतलब है कि अधिकतर किसानों का कहना है कि उन्हें बीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसलिए उन्होंने अपनी फसल का बीमा नहीं कराया है. वहीं, कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि किसानों को जागरूक करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे है. बात करें फिरोजाबाद जनपद की तो यहां 30 हजार हेक्टेयर के लगभग कृषि योग्य जमीन है, जिस पर सीजन के अनुसार गेंहू, बाजरा, जौ, मक्का, धान, शिमला और अचारी मिर्च, आलू, तिलहन और दलहन की फसल को किसान उगाते हैं.
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक फिरोजाबाद में किसानों की संख्या 3 लाख के आसपास है. बात करें प्राकृतिक आपदा की तो अक्सर कभी सूखा और अधिक बरसात, ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं. किसान कर्जा लेकर फसलों में लागत भी लगातें हैं और वर्ष भर उम्मीद करते है कि उनकी फसल अच्छी होगी. तभी वह अपना कर्ज चुका पाएंगे. साथ ही वर्ष भर अपनी जीविका भी चला पाएंगे, लेकिन फसल बर्बाद होने के साथ-साथ किसानों के अरमान भी टूट जाते है. सरकार से जो मुआवजा मिलता है. वह ऊंट के मुंह मे जीरे के समान होता है. ऐसे में सरकार द्वारा किसानों को राहत देने के मकसद से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है. यह काम एक प्राइवेट बीमा कंपनी को सौंपा गया है लेकिन फिरोजाबाद में यह बीमा योजना किसानों की बेरुखी की शिकार हो गई है.
आंकड़ों की बात करें तो 3 लाख किसानों में से 10 हजार किसान भी फसल का बीमा नहीं कराते है. साल 2018 में खरीफ के लिए 37 हजार 702 और रबी के लिए 32 हजार 169 किसानों ने बीमा कराया था. साल 2019 में किसानों की संख्या घटकर खरीफ में 21 हजार 140 और रबी में 20 हजार 757 रह गई. साल 2020 में खरीफ में 15 हजार 562 और रबी में 11 हजार 376 किसानों ने फसल बीमा कराया. इसी तरह साल 2021 में खरीफ में 6651और खरीफ में 8185 किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया था. कुल मिलाकर बीमा कराने वाले किसानों की संख्या हर साल घटती ही जा रही है. ईटीवी भारत की टीम से किसानों ने बताया कि मुख्यत: उन्हें इस योजना की जानकारी ही नहीं है. इसलिए उन्होंने बीमा नहीं कराया है. इस संबंध में उप निदेशक कृषि प्रसार का कहना है कि विभिन्न माध्यमों से किसानों को जागरूक किया जा रहा है.
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