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...तो फर्रुखाबाद बीएसए बाबू रिकॉर्ड भी नहीं संभाल पाते!

यूपी के फर्रुखाबाद जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से शिक्षकों का रिकॉर्ड गायब होने का मामला सामने आया है. वहीं इस संबंध में जब विभाग के बाबू और अधिकारी से बात की गई तो दोनों ही बातों को गोलमोल कर एक दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं.

कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद.
कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद.

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Published : Oct 24, 2020, 10:37 PM IST

फर्रुखाबादःसूबे में शिक्षक भर्ती हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. फिर चाहे उसमें धांधली को लेकर रहा हो या फिर भर्ती स्थिगत को लेकर रहा हो. कभी फाइल गायब हो जाती है तो कभी जिले के बेसिक शिक्षक अधिकारी ही भर्ती नहीं देते हैं. वहीं फर्रुखाबाद जिले से भी एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है, जहां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से शिक्षक भर्ती का रिकॉर्ड ही गायब कर दिया गया, जो कि सरासर छात्रों के जीवन से खिलवाड़ है.

जिले में अब तक 4 बार ही हुई हैं शिक्षक भर्ती
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2004-05 से लेकर अब तक करीब चार बार शिक्षकों की भर्ती हुई है. मगर विभाग के पास इनका रिकॉर्ड ही नहीं है कि अब तक कितने शिक्षक नियुक्त हुए हैं. यही वजह है कि अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद शासन ने वर्ष 2010 के बाद भर्ती शिक्षकों की सूची अभिलेखों समेत मांगी थी, लेकिन विभाग अभी तक गहरी नींद में सोया हुआ है. दशक बीतने को है, लेकिन प्रशासन इस बात से अचेत बैठा हुआ है कि उसे फाइलें भी उपलब्ध करानी हैं.

सिर्फ 2010 के बाद का ही रिकॉर्ड संभाले हुए हैं बाबू

नियुक्ति का प्रभार देख रहे बाबू सुरेंद्र नाथ अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2010 से अभी तक करीब 3447 शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, लेकिन जब उनसे रिकॉर्ड मांगा गया तो वे नहीं दिखा सके. वहीं 2005 में हुई नियुक्तियों पर उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ 2010 से अब तक हुई नियुक्तियों का कार्यभार सौंपा गया है. साथ ही कहा कि इससे पहले हुए नियुक्तियों की जानकारी नहीं है. शिक्षकों की तैनाती का पूरा डाटा न होने के चलते ही शिक्षकों की जांच भी लटकी हुई है.

वहीं जब इस संबंध में प्रभारी बीएसए वेगिस गोयल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि संबंधित बाबू के पास नियुक्ति का पूरा रिकॉर्ड होना चाहिए. अगर उनके पास रिकॉर्ड नहीं है तो पूरी तरीके से गलत है. उनका कहना है कि इस मामले में जानकारी कर कार्रवाई जाएगी कि 2005 से कब तक कितने शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. बहरहाल जो भी हो सवालों के जवाबों से साफ लग रहा है कि अब बॉल एक दूसरे के पाले में डाली जा रही है, जिससे कुछ न कुछ दाल में काला जरूर नजर आ रहा है.

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