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गठबंधन कर मायावती हुईं जिंदा, वेंटिलेटर पर पहुंचे अखिलेश: स्वामी प्रसाद मौर्य

यूपी के फर्रुखाबाद में शिक्षक सम्मान समारोह में भाग लेने स्वामी प्रसाद मौर्य पहुंचे. इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बसपा से गठबंधन कर मायावती को जिंदा करने की कोशिश कर अखिलेश खुद वेंटिलेटर पर चले गए.

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Published : Sep 7, 2019, 10:09 AM IST

स्वामी प्रसाद मौर्य ने विपक्ष पर साधा निशाना.

फर्रुखाबाद:यूपी में उपचुनाव की तैयारियों को लेकर एक बार फिर राजनीतिक दलों के नेताओं ने कमर कस ली है. शुक्रवार को प्रदेश के श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य शिक्षक सम्मान समारोह में भाग लेने फर्रुखाबाद पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बसपा अध्यक्ष मायावती और अखिलेश यादव की जमकर चुटकी ली.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने विपक्ष पर साधा निशाना.
प्रदेश में उपचुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में नेताओं का आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. शुक्रवार को बद्री विशाल महाविद्यालय में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की. इस दौरान श्रम मंत्री ने बसपा और सपा पर जमकर निशाना साधा.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने विपक्ष पर साधा निशाना-
उन्होंने मुलायम सिंह यादव के आजम खां को लेकर दिए गए बयान पर कहा कि मुलायम सिंह यादव के आजम खां सहयोगी रहे हैं. इसलिए उनके लिए उन्होंने अपना धर्म निभाया है. अगर सही मायने में आजम खां के लिए सद्भावना होती तो तीन महीने बाद मुलायम सिंह आवाज नहीं उठाते. अब ऐसा कर उन्होंने मात्र औपचारिकता निभाई है.

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मुझसे पंगा लेने के बाद खत्म हुआ मायावती का खेल-
यूपी की राजनीति में मायावती का खेल खत्म हो चुका है. यह उसी दिन खत्म हो गया था, जब उन्होंने मुझसे पंगा लिया था. मैंने कहा था कि यूपी से मायावती का बोरिया-बिस्तर बांध कर दिल्ली न भिजवा दिया तो मैं भी राजनेता नहीं. मैंने जो कहा वह करके भी दिखाया.

बसपा के साथ गठबंधन कर अखिलेश वेंटीलेटर पर-
लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन कर अखिलेश यादव ने मायावती को ऑक्सीजन देकर जिंदा करने की कोशिश की, लेकिन अखिलेश यादव खुद वेंटिलेटर पर चले गए. अब जिस तरह से मायावती ने पलटकर अखिलेश यादव को सबक सिखाया है. स्वाभाविक रूप से अब राजनीति में वह अकेले वापसी करेंगी. फिर उपचुनाव में उनकी एक भी सीट नहीं निकलने वाली है. क्योंकि मायावती का मकसद चुनाव जीतना नहीं बल्कि प्रत्याशियों और पार्टी के माध्यम से धन संग्रह करना है.

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