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बेमौसम बारिश की मार, खाद के न मिलने से किसान हुए परेशान

फर्रुखाबाद जिले में खाद की किल्लत हो रही है. जिससे किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. क्रय केन्द्रों पर आए किसानों ने बताया कि लंबी-लंबी लाइनों में लगे रहने के बाद भी खाद समय पर नहीं मिल पा रही है. जिससे फसल बुवाई में देरी हो रही है. वहीं किसान बेमौसम बारिश से परेशान हैं.

इफको केंद्र.
इफको केंद्र.

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Published : Oct 29, 2021, 7:48 AM IST

फर्रुखाबादःजिले में एक तरफ किसान बेमौसम बारिश से परेशान हैं. वहीं किसानों के लिए खाद की दिक्कत भी सामने आ रही है. खाद को लेकर किसान परेशान घूम रहा है. दो बोरी खाद पाने के लिए उसे इधर-उधर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ऐसे में रवि फसलों की बुआई पिछड़ रही है. किसान चिंतित हैं कि ऐसे हालातों में वह कैसे फसल तैयार कर सकेंगे. किसान कहते हैं कि एक तो मौसम ने इस बार जो कहर बरपाया उससे फसलों को नुकसान हुआ है. अब जब खेत तैयार कर फसल बोने का समय आया तो खाद का संकट खड़ा हो गया है.

किसानों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. बेमौसम बारिश तो कहीं खाद का न मिलने से किसान जूझ रहा है. फर्रुखाबाद के किसी सरकारी, सहकारी और प्राइवेट बिक्री केंद्र पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है. आलू की बोवाई के लिए किसान एक-एक बोरी खाद के लिए भटक रहे हैं. कहीं भी किसी भी भाव डीएपी खाद नहीं मिल रही. विकल्प के तौर पर प्रयुक्त होने वाली एनपीके मिश्रित खाद का भी अभाव हो गया है. इफको केंद्र पर दिन भर किसानों का आना जाना रहा. किसान आते, डीएपी व एनकेपी खाद का स्टाक निल होने की सूचना पर मायूस होकर लौट जाते.

खाद के लिए किसान परेशान.

किसानों का कहना है कि धान की फसल पहले ही बर्बाद हो गई थी. आलू बोया, वह भी बारिश में बर्बाद हो गई. अब दोबारा बोवाई के लिए खाद की बहुत ही जरूरत है, लेकिन किसी भी कीमत पर खाद नहीं मिल पा रही है.

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इफको केंद्र के संचालक रोहित कुमार सोलंकी ने बताया कि 13 अक्टूबर तक उनके यहां डीएपी खाद उपलब्ध थी, जो निर्धारित 1200 रुपये की दर से किसानों की दी गई. इसके बाद से उनके केंद्र पर डीएपी नहीं आई. मौजूदा स्टाक में न डीएपी है, न एनपीके, सिर्फ 102 बोरी यूरिया है. उन्होंने शीघ्र ही डीएपी आने की संभावना जताई. कायमगंज स्थित किसान सेवा सहकारी समिति दक्षिणी पर भी सन्नाटा पसरा था. यहां भी स्टाक में डीएपी नहीं थी. अधिकांश किसान यूरिया, सुपर फास्फेट और पोटास मिलाकर आलू की बोवाई कर रहे हैं. किसानों ने डीएपी मिलने की आस छोड़ दी है. कुछ किसान अब भी सहकारी समितियों और प्राइवेट खाद दुकानदारों के चक्कर लगा रहे हैं.

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