फर्रुखाबाद:कोरोना काल में कितनी माताओं ने अपने बच्चों को खो दिया. कितने बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया. कोई अनाथ हुआ तो कोई बेघर. इस महामारी ने कई परिवारों के घर उजाड़ दिए. घर में जो कमाने वाला था वह इस दुनिया में नहीं रहा. इसे ईश्वर की विडंबना कहे या सरकार के सिस्टम की लाचारी, ऐसा भयानक मंजर देखकर हर इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
पिता की सेवा करते करते बेटे हो गए थे संक्रमित
फर्रुखाबाद के भोपत पट्टी में जगदीश अपनी पत्नी नन्ही देवी और 7 बच्चों के साथ रहते थे. लेकिन अब उनकी एक बेटी और चार बेटे अनाथ हो गए हैं. इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है. इतना ही नहीं, इस महामारी ने घर के दो बेटों को भी छीन लिया, जिससे मां नन्ही देवी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. 20 अप्रैल को पति जगदीश को बुखार आने पर नन्ही देवी उन्हें लेकर प्राइवेट अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने जगदीश को कोरोना की जांच के लिए कहा. उनकी कोरोना की रिपोट पॉजिटिव आने से पहले ही पति को सांस लेने में दिक्क्त हो रही थी. इस बढ़ती दिक्कत से उनकी मौत हो गई.
परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा. मगर ये गम अभी भी थमने वाले नहीं थे. अपने पिता की सेवा करते हुए उनके दो बेटे भी कोरोना से सक्रमित हो गए. लगभग 10 दिन बाद यानि एक मई को छोटे बेटे ने दम तोड़ दिया और इसके ठीक दो दिन बाद बड़े बेटे की भी कोरोना से मौत हो गई. इस घर में अब 5 बच्चे बचे हैं. इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है. परिवार में कमाने वाला कोई भी नहीं रहा. घर का खर्चा कैसे चलेगा..? यह देखने और सुनने वाला भी कोई नहीं रहा.
46 अनाथ बच्चे चिन्हित किए गए