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लॉयन सफारी में हुई दो शावकों की एंट्री

इटावा में लॉयन सफारी में शुक्रवार की रात शावकों की किलकारी गूंजी. शावकों के जन्म से पूरे लॉयन सफारी में खुशी छा गई. सफारी प्रशासन शेरनी और बच्चों की देख-रेख में जुटा है.

दो शावकों का जन्म
दो शावकों का जन्म

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Published : Dec 12, 2020, 8:22 PM IST

इटावा:लॉयन सफारी शुक्रवार की रात खुशियों की किलकारी से गूंज उठा. 105 दिन के इंतजार के बाद आधी रात को शेरनी जेसिका ने दो शावकों को जन्म दिया. शावकों के जन्म से सफारी प्रशासन में खुशियों की लहर दौड़ गई. परिवार में दो नए सदस्यों के आने से सबके चेहरे खुशी से खिल गए.

शावकों की देख-भाल में लगा प्रशासन

सफारी प्रशासन शेरनी और बच्चों की देख-रेख में जुटा है. करीब 10 दिन बाद बच्चों की आंख खुलने पर शेरनी को बाहर लाया जाएगा. इस दौरान लॉयन सफारी में धूमधाम से जश्र मनाया जाएगा. सफारी के निदेशक राजीव मिश्रा ने बताया कि जच्चा और बच्चे दोनों ही स्वस्थ्य हैं. उन्होंने बताया कि साढे़ तीन माह पहले शेर मनन से जेसिका की मीटिंग करवाई गई थी. तभी से लगातार जेसिका की निगरानी और देखभाल चल रही थी. प्रसव के लिए तीन कमरे का अलग सेट बनाया गया था. सप्ताह भर से जेसिका इसी विशेष कक्ष में रह रही थी. इसमें उसके खाने, आराम करने और प्रसव के लिए अंधेरा कमरा बनाया गया था. शुक्रवार रात को जेसिका ने बारी-बारी से दोनों बच्चों को जन्म दिया. राजीव मिश्रा ने बताया कि बच्चा अस्वस्थ्य होने या उनका आसमान्य व्यवहार होने पर शेरनी बच्चे को खुद से दूर कर देती है, लेकिन जेसिका ने प्रसव के कुछ देर बाद ही दोनों शावकों को दूध पिलाना शुरु कर दिया. इससे अंदाजा लग गया कि दोनों शावक स्वस्थ्य और तंदरुस्त हैं.

आंख खुलने के बाद पता चलेगा नर या मादा

सफारी के उप निदेशक सुरेश चंद्र राजपूत ने बताया कि जेसिका की देखभाल के लिए अलग केयर टेकर नियुक्त किया गया था. वही इस वक्त उसके बाड़े तक जा सकता है, लेकिन बच्चों को छूने या उनके पास जाने पर शेरनी के व्यवहार में परिवर्तन आने का खतरा है. बच्चों की आंख खुलने तक करीब 10 दिन तक का इंतजार किया जाएगा. इसके बाद उन्हें बाहर लाने पर पता चलेगा की शावक नर है या मादा. उन्होंने बताया कि जेसिका के खान-पान में बदलाव करके उसे बीफ की जगह अब हल्का चिकन, मटन और सूप दिया जाएगा. दो सप्ताह तक वह यही खाना खाएगी.

ज्योतिष शास्त्र से होगा शावकों का नामकरण

मानव सभ्यता में अपने-अपने रिवाज के मुताबिक संस्कारों का पूरा किया जाना स्वाभाविक है, लेकिन पहली बार शेरों के कुनबे में ऐसे संस्कारों को देखा जाएगा. निदेशक राजीव मिश्रा ने बताया कि प्रसव के दिन और समय के मुताबिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे विधि-विधान से शावकों का नामकरण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिस तरह मानव जीवन में ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव होता है. उसी तरह यह अन्य जीवों को भी प्रभावित करते हैं. कोरोना काल में ऐसी मान्यताएं और बढ़ गई हैं. इससे स्वास्थ्य और जीवन के अन्य पहलू प्रभावित होते हैं. इन्हें देखते हुए शावकों का नामकरण और अन्य संस्कार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करवाए जा रहे हैं.

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