देवरिया: सुर्खियों में बने रहने वाले देवरिया जिला जेल में कैदी मौज काट रहे हैं. यहां पर कैदी जेल में आराम से बिस्तर पर लेटकर लोगों को फोन पर धमकाते हैं. जेल में बंद रतन यादव उर्फ अंबुज और पीयूष का मोबाइल पर बात करते एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो जेल में सुरक्षा के इंतजाम की पोल खुली. वीडियो की भनक लगते ही जेल प्रशासन ने बैरक की तलाशी ली तो कैदी के पास से मोबाइल बरामद हुआ.
देवरिया जिला जेल में मौज उड़ा रहे कैदी, मोबाइल पर बात करते वीडियो वायरल
चर्चा में रहने वाले यूपी के देवरिया जिला जेल में कैदियों को सजा का कोई डर नहीं रह गया है. जेल से दो कैदियों के मोबाइल पर बात करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो जेल प्रशासन के होश फाख्ता हो गए. आनन-फानन में बैरक की तलाशी की गई तो कैदी के पास से दो मोबाइल बरामद हुए.
दरअसल बरहज थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला ने आला अफसरों को शिकायती पत्र दिया है. पत्र में लिखा है कि जेल में बंद रतन यादव उर्फ अंबुज और पीयूष का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें दोनों जेल के बैरक में मोबाइल से बात करते हुए दिख रहे हैं. महिला ने बताया है कि इनके खिलाफ हत्या सहित कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज है. बैरक से ही किसी ने इसका वीडियो बनाया और उसके भाई पिंटू मिश्र के मोबाइल वाट्सअप पर तीन वीडियो भेजे, जिससे पूरा परिवार सहमा हुआ है. इसके साथ ही महिला ने यह भी बताया कि ये लोग गांव में लोगों को फोन कर धमकाते हैं, जिसकी वजह से लोगों में दहशत व्याप्त है.
महिला की शिकायत पर जेल जिला प्रशासन ने बन्दी रतन यादव के बैरक की तलाशी ली तो वहां से दो मोबाइल बरामद हुआ. जिसको जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया. इस दौरान अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सोनकर ने बताया कि कि जेल का एक वीडियो संज्ञान में आने पर तत्काल कार्रवाई करते हुए जेल की तलाशी ली गई. जिसमे दो कैदी दोषी पाए गए हैं. मोबाइल को जब्त कर लिया गया है. उन कैदियों पर अभियोग पंजीकृत कर कार्रवाई की जा रही है.
बता दें कि इसके पहले भी देवरिया जिला जेल सुर्खियों में रहा है. पहले भी यहां से मोबाइल और सिम बरामद हो चुके हैं. जेल के अंदर से कैदी फोन पर रंगदारी भी मांग चुके हैं. इसको लेकर तमाम मुकदमे भी दर्ज हुए हैं, लेकिन निडर कैदी आराम से मोबाइल पर बात कर रहे हैं और वीडियो भी वायरल कर रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि या तो इन सबमें जेल प्रशासन की मिलीभगत है या फिर कैदियों को सजा का कोई डर ही नहीं रह गया है.