चित्रकूट: ट्रेनों, बस स्टेशनों और शादी-समारोहों में आए दिन बढ़ती किन्नरों की संख्या की वजह आपको हैरान कर देगी. जगह-जगह ताली बजाकर पैसे कमाना इन्हें भी नहीं पसंद, पर सरकार की उपेक्षा और पेट की भूख आज कल के युवाओं को किन्नर बनने पर मजबूर कर रही है. कुछ डॉक्टर उनकी इसी मजबूरी का फायदा उठाकर मनमानी रकम वसूल रहे हैं.
भुखमरी और बेरोजगारी ने बनाया युवाओं को किन्नर ये तथ्य कर देंगे आपको हैरान
- परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पुरुष बन रहे किन्नर
- डॉक्टरों को 30-35 हजार रुपये देकर करवाते हैं ऑपरेशन
- मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में डॉक्टर करते हैं ऑपरेशन
- किन्नर बन कर मांगने पर मिलता है खासा पैसा
किन्नर बनने के बाद भी नहीं कम हो रही समस्याएं
- वोटर आईडी और आधार कार्ड न होने से ये लोग मतदान से वंचित रह जाते हैं.
- कई सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
- लोग किन्नरों को हेय दृष्टि से देखते हैं.
- किराये का कमरा लेने पर दोगुना किराया देना पड़ता है.
मैंने किन्नर बनने के बाद अपना नाम बदल लिया है. भुखमरी और बेरोजगारी के चलते मैं किन्नर बन गई हूं. मेरे जैसे कई और किन्नर हैं, जो मोटी रकम दे कर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन करा कर किन्नर के धंधे में उतर गए हैं. ऐसी महंगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे को भी तो पालना था. इससे आसान कुछ न था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया. किन्नर उषा