बुलंदशहर: दिल्ली एनसीआर में पिछले कई वर्षों से देखा जाता है कि जैसे ही सर्दियां दस्तक देती हैं, वैसे ही अक्टूबर से दिसंबर तक यहां आम आदमी से लेकर जीव-जंतुओं तक कि दिक्कत बढ़ जाती है. हवा में धुएं की चादर जैसे वायुमंडल को न सिर्फ प्रभावित करती हैं, बल्कि नीले आसमान की तरफ देखने पर भी सिर्फ धुंध का गुबार ही आसमान में नजर आने लगता है. कुछ महीनों में दिल्ली एनसीआर में लॉकडाउन में आबोहवा पूरी तरह से सुरक्षित थी और जो एयर क्वालिटी इंडेक्स की अगर बात की जाए तो वह भी एकदम सतह पर आ गया था. आसमान पूरी तरह से नीला दिखाई देता था, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के दबाव ने एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ा दिया है. पिछले एक सप्ताह से जिले का AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के आसपास तक पहुंच चुका है, जो कि अच्छा नहीं माना जाता. कुछ लोग तो धुन्ध-धुएं के लिए किसानों को जिम्मेदार मानते हैं. माना जाता है कि धान की कटाई के बाद लोग वृहद स्तर पर पराली जलाते हैं.
इस बारे में बुलंदशहर के नागरिकों का कहना है कि दिन में अब आसमान साफ नजर नहीं आता. कहीं न कहीं आसमान में छाए धुंध और धुएं ने सूर्य की तपिश को कम कर दिया है. नागरिकों का मानना है कि अगर शहर में उड़ने वाली धूल पर भी कंट्रोल कर लिया जाए तो सांस लेने में तकलीफ पैदा न हो क्योंकि सड़कों पर फैली धूल ने भी लोगों की सांस फुला रखी है. पिछले कई दिनों में तो ऐसा भी देखा गया है कि बुलंदशहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली को भी पीछे छोड़ गया है. यानी यहां धुंध का गुबार दिल्ली से भी ज्यादा रहा है. वर्तमान में बुलंदशहर जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के आसपास बना हुआ है जोकि काफी खतरनाक स्टेज में है.