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खबर का असर: अनाथालय के जमीन का निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम और तहसीलदार

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला है. यहां पर एकर अनाथालय की जमीन पर कब्जे की खबर ईटीवी भारत पर प्रकाशित होने के बाद एसडीएम सदर और तहसीलदार राजस्व टीम के साथ मौके पर पहुंचे.

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Published : Nov 23, 2020, 10:04 AM IST

खबर का असर.
खबर का असर.

बस्ती: जिले में अनाथालय की जमीन पर कब्जे की खबर ईटीवी भारत पर चलने के बाद आज एसडीएम सदर और तहसीलदार राजस्व टीम के साथ जांच करने पहुंचे. एसडीएम ने अनाथालय के संचालक रघुवंश उपाध्याय से कब्जे के संबंध में जानकारी हासिल की और मौके का मुआयना भी किया. अनाथालय की जमीन पर संचालक की ओर से बनाए गए हॉस्पिटल, घर और दुकान देख कर एसडीएम भी चकित रह गए. उन्होंने संचालक से कहा कि इस मामले में एफआईआर भी होगी.

ईटीवी भारत की खबर का असर.

क्या है पुराना मामला

मालवीय रोड के बाहृमण महासभा कार्यालय के बगल में स्थित अनाथालय के करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा करने का मामला सामने आया है. तहसील के अभिलेखों में दर्ज अध्यानंद अनाथालय के नाम के 13 बिस्वा एक धुर जमीन का सालों से दुरुपयोग हो रहा है. उक्त जमीन पर डेढ़ दर्जन व्यावसायिक प्रतिष्ठान और नर्सिंग होम संचालित हो रहा है. किराये के रुप में हर माह भारी धनराशि वसूली जा रही है. टैक्स की चोरी भी की जा रही है. सौ रुपये के स्टांप पर किराएनामे का अनुबंध किया गया. स्टांप की चोरी करने की नीयत से किराएनामे का पंजीकरण भी नहीं कराया गया. बताया गया कि सड़क के किनारे के जमीन की मालियत वर्तमान में 10 से 20 करोड़ आंकी गई है. एडीएम रमेश चंद्र ने पहले लेखपाल से जांच कराई और उस रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार को टीम बनाकर जमीन की पैमाईश कराने का आदेश दिया.

सदर तहसील के अभिलेखों में मोहल्ला पिकौरा दत्तूराय में फसली वर्ष 1407, 1408 एवं 1409 में खाता नंबर 87 और गाटा संख्या 99/2 में अध्यानंद अनाथालय के नाम दर्ज है. लगभग 20-25 साल पहले यहां पर अनाथालय का बोर्ड लगा हुआ था. वर्तमान में सड़क किनारे अनाथालय की जमीन पर लगभग डेढ़ दर्जन प्रतिष्ठान और नर्सिगं होम संचालित हो रहा है.

किराएदारों का कहना है कि जो किराए की रसीद और अनुबंध किया गया, उसकी वैधानिक मान्यता नहीं हैं, क्योंकि रसीद पर संस्था का पंजीकरण संख्या नहीं है. तत्कालीन कमिश्नर विजय शंकर चौबे जमीन को खाली कराने और ध्वस्तीकरण का आदेश भी दे चुके हैं, मगर राजनैतिक दबाव के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी.

काबिजदार रघुवंश उपाध्याय का कहना है कि 30 साल पहले आवासीय अनाथालय चलता था. इसके बाद श्रीमद्दयानंद बाल आश्रम मालवीय रोड के नाम से ट्रस्ट बनाया गया. जब उनसे पूछा गया कि जब ट्रस्ट है तो इसका नाम सरकारी अभिलेखों में अनाथालय के रुप में क्यों दर्ज है, लेकिन इस पर उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया. उन्होंने कहा कि कुछ जमीन उनके द्वारा खरीदी गई, जिसमें मकान का निर्माण है. जिन लोगों को किराए पर नहीं दिया गया, वही लोग शिकायत कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कब्जा करने की बात से इंकार किया.

वहीं आस-पास के लोगों का कहना है कि कुछ लोगों के द्वारा साजिश करके अनाथालय के करोड़ों की जमीन का ट्रस्ट बनाकर उसका दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि टाउन क्लब की तरह यह संपत्ति भी प्रशासन के कब्जे में आ सकती है.

पहले प्रकाशित हुई खबर-अनाथालय की करोड़ों की जमीन पर दबंगों का कब्जा, आयुक्त ने बैठाई जांच

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