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बरेली के 22 वर्षीय आयुष ने अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर फहराया तिरंगा

बरेली के आयुष खरे ने देश का नाम रोशन किया है, उन्होंने अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर ( 5895 मीटर ) किलिमंजारो पर्वत पर पहुंचकर तिरंगा फहराया है. इससे पहले भी आयुष ने देश के स्टोक कांगड़ी शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फहराया था. जिसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था.

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Published : Dec 8, 2020, 9:41 AM IST

ayush hoisted the tricolor on mount kilimanjaro in africa.
बरेली के आयुष ने अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर फहराया तिरंगा.

बरेलीः जिले के आयुष खरे ने देश का नाम रोशन किया है, उन्होंने अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर (5895 मीटर) किलिमंजारो पर्वत पर पहुंचकर तिरंगा फहराया है. यह उनकी दूसरी बड़ी उपलब्धि है. इससे पहले भी आयुष ने देश के स्टोक कांगड़ी शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फहराया था. जिसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था. आयुष की इस उपलब्धि से परिवार में खुशी का माहौल है.

बरेली के आयुष ने अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर फहराया तिरंगा.

आयुष खरे का नाम गिनीज बुक में दर्ज
अपनी काबिलियत के बल पर पिछले साल अगस्त माह में बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के देश के स्टोक कांगड़ी शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फहराने वाले और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को अपने नाम कर चुके मर्चेंट नेवी के 22 वर्षीय कैडिट आयुष खरे ने फिर एक बार बरेली शहर के साथ-साथ प्रदेश और देश का भी नाम रोशन किया है.
दरअसल आयुष खरे मर्चेंट नेवी में बतौर कैडेट वर्तमान में प्रशिक्षण महाराष्ट्र में ले रहे हैं। ऐसे में उन्होंने फिर एक बार खुद को साबित करके यहां दिखाया है.आपको बता दें कि आयुष खरे के पिता बरेली में रेलवे में सीनियर टेक्नीशियन के पद पर तैनात हैं, जबकि माता गृहणी हैं और परिवार में एक छोटा भाई स्पर्श है.
आयुष की इस कामयाबी पर परिवार में जहां खुशियों का माहौल है, वहीं जानने वालों और रिश्तेदार भी बधाई देने में लगे हैं.

खुद के लिए चुना चुनौतीपूर्ण लक्ष्य
आयुष के पिता विनय खरे का कहना है कि उन्हें जब यह पता चला कि उनका बेटा अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर विषम परिस्थितियों में तिरंगा फहराने के सपने के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने में दृढ़संकल्प लिए हुए हैं, तो उन्होंने भी उसका हौंसला बढ़ाया. आयुष के पिता ने बताया कि शहर के स्कूल से दसवीं और कक्षा 12 की पढ़ाई करने के बाद 2017 में आयुष का चयन मर्चेंट नेवी के लिए हुआ था.

परिवार ने हमेशा बढ़ाया हौसला
एक पिता के रूप में अपने बेटे की उपलब्धि से खुश और उत्साहित विनय खरे ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि वह लोग काफी डरे हुए थे, लेकिन उनके पुत्र ने यह सिद्ध कर दिखाया कि असफलता से सबक लेकर आगे बढ़ना ही जिंदगी है और कोई भी असफलता किसी को नहीं रोक नहीं सकती. बशर्ते कि कुछ करने का हौसला मन में होना चाहिए.


कक्षा 11 में असफल होने के बाद बदल गई रफ्तार
विनय खरे ने बताया कि आयुष ग्यारहवीं की परीक्षा में फेल हो गए थे. लेकिन आयुष को परिवार ने तनाव से निकलने में सहयोग किया व रचनात्मक करने के लिए प्रेरित किया. असफलता की बाढ़ों को पार करके आयुष आगे बढ़े औऱ कक्षा 12 की पढ़ाई के बाद फिलहाल महाराष्ट्र में वह मर्चेंट नेवी में कैडेट के तौर पर प्रशिक्षण ले रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब उनके छोटे भाई स्पर्श खरे से बात की तो उन्होंने अपने भाई की उपलब्धियों को गिनाते हुए अफ्रीका की सबसे ऊंचे शिखर की यात्रा की वीडियो दिखाते हुए खुशी जाहिर की.

आयुष की उपलब्धियां
आयुष ने अब तक 21 किलोमीटर मैराथन में गोल्ड मेडल मिल चुका है. वहीं 42 किलोमीटर मैराथन में भी गोल्ड मेडल आयुष प्राप्त कर चुके हैं. 50 किलोमीटर साइकिल मैराथन में ब्रांच मेडल से वह सम्मानित हो चुके हैं. रॉक क्लाइम्बिंग के लिए A ग्रेड हांसिल कर चुके हैं. इससे पहले वॉइस ऑफ बरेली सिंगिंग कंपटीशन में वह फाइनल तक पहुंचे थे.

दो दिन भारत लौटेंगे आयुष
ईटीवी भारत ने आयुष खरे से फोन पर बात की, तो उन्होंने बताया कि वह अभी अफ्रीका हैं और वहां से अगले 2 दिन में इंडिया वापस लौटेंगे. आयुष ने बताया कि उनके भविष्य के जो लक्ष्य हैं उनमें 100 किलोमीटर मैराथन में सफल होना और यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एलब्रुस पर तिरंगा फहराना उनका सपना है.

ऐसे मिली प्रेरणा
आयुष ने ये भी बताया कि पश्चिम बंगाल के सत्यरूपा सिद्धांत के बारे में उन्होंने पढ़ा था, जिन्होंने महज 35 साल की उम्र में दुनिया के 7 सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वतों पर पहुंचकर विश्व रिकॉर्ड बनाया हुआ है. आयुष ने बताया कि उनका सपना भी उसी लक्ष्य को पाना और उनके रिकॉर्ड को तोड़ना है. उन्होंने कहा कि किलिमंजारो पर्वत पर पहुंचकर अपने सपनों को उड़ान देने की तरफ पहला लक्ष्य भेद दिया है. आयुष का कहना है कि वह भविष्य में एक ऐसा संस्थान शुरू करना चाहते हैं जो कि काफी अलग तरह का रोमांच से भरा हो और जहां लोग ऊंचाई चढ़ने के बारे में प्रशिक्षण ले सकें और आने वाले समय में नए रिकॉर्ड बनाने के लिए लोगों को तैयार कर सकें.

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