बाराबंकीः नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण जिले के घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ गया था, लेकिन अब पानी खतरे के निशान से नीचे है. जलस्तर कम होने के कारण नदी के तटीय इलाकों में कटान की समस्या एक बार फिर से बढ़ती जा रही है. प्रशासन कटान को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.
जानकारी देते डीएम, डॉ.आदर्श सिंह. इसे भी पढ़ें:- कानपुर देहात: बाढ़ की चपेट में आए कई गांव, उफान पर हैं यमुना
कटान को लेकर प्रशासन नहीं हो रहा सख्त-
बताते चलें कि लगातार पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस बार कटान की समस्या ने टेपरा गांव का अस्तित्व लगभग समाप्त कर दिया. घाघरा नदी जिस प्रकार से अपने बहाव का क्षेत्रफल और दिशा बदली है, उससे कई गांवों पर अभी संकट मंडरा रहा है. ऐसे में प्रशासन द्वारा कटर का उपयोग करना कहां तक सफल होता है ? यह देखने वाली बात होगी. हालांकि जिले के कई इलाकों में जैसे, रामनगर और फतेहपुर क्षेत्र में बांध बनाकर कटान की समस्या को काफी हद तक रोका गया है, लेकिन सिरौलीगौसपुर के उन क्षेत्रों में जहां बंधा नहीं बना है, वहां पर अभी भी कटान होती रहती है. यहां पर स्थाई समाधान निकालने की आवश्यकता है.
घाघरा नदी में जैसे-जैसे जलस्तर घट रहा है, कटान की समस्या में तेजी आ रही है. इसके लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि कटान को रोका जाए. बाढ़ रोकने के लिए जो कटर बनाए गए हैं, अब उन्हें उपयोग में लाया जाएगा, जिससे कटान को रोका जा सके.
-डॉ.आदर्श सिंह, डीएम