बाराबंकी:इंसान तो इंसान बेजुबान जानवर भी कोरोना संकट की मार झेल रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान जहां तमाम सामाजिक संगठन भूखे प्यासे लोगों को भोजन पहुंचा रहे हैं. वहीं संवेदनशील लोग बेजुबान जानवरों की भी सेवा कर रहे हैं. बाराबंकी के दिलीप मिश्रा ऐसे ही संवेदनशील व्यक्ति हैं जो बंदरों की सेवा कर रहे हैं. हर रोज दो घंटे यह बंदरों को कुछ न कुछ जरूर खिलाते हैं.
बाराबंकी: लॉकडाउन के दौरान बंदरों की सेवा करने में जुटा यह जीव प्रेमी
कोरोना सकंट से इंसान ही नहीं बल्कि बेजुबान जानवर भी जूझ रहे है. लॉकडाउन के कारण बेजुबान भूख से बेहाल हैं. इसके चलते बाराबंकी के दिलीप मिश्राा डेढ़ महीने से बंदरों को खाने पीने की चीजें दे रहे हैं. वह ऐसा करके अपने को धन्य समझते हैं.
नगर के घंटाघर गली के पास रहने वाले दिलीप मिश्रा पिछले करीब डेढ़ महीने से बेजुबान जानवरों की सेवा कर रहे हैं. दिलीप की मानें तो लॉकडाउन का इन बंदरों पर खासा असर हुआ है. आम दिनों में लोग इन्हें कुछ न कुछ खाने को दे देते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते लोग इन्हें नजरअंदाज कर दे रहे हैं. यही वजह है कि अब यह बंदर पहले से कमजोर हो गए हैं.
तकरीबन 250 बंदर शहर में हैं जो धनोखर चौराहे से नागेश्वरनाथ धाम तक चक्कर लगाते रहते हैं. कहीं किसी ने इन्हें खाने को कुछ दे दिया तो खा लेते हैं. वहीं लॉकडाउन के कारण डेढ़ महीने से यह भी बेहाल हैं. दिलीप ने इनकी सेवा करने का जिम्मा लिया है.