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विधानसभा चुनाव 2022: बाराबंकी विधानसभा सीट पर आज तक नहीं खिला कमल

बाराबंकी जिले में 6 विधानसभा सीटें हैं. इसमें से बाराबंकी-268 विधानसभा सीट पर एक बार भी कमल नहीं खिला है. पहले कांग्रेस का कब्जा रहा. पिछले दो चुनावों से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है.

बाराबंकी विधानसभा सीट
बाराबंकी विधानसभा सीट

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Published : Sep 27, 2021, 1:45 PM IST

बाराबंकी:27 सितम्बर 2012 में अस्तित्व में आई बाराबंकी-268 विधानसभा पहले नवाबगंज विधानसभा के नाम से जानी जाती थी. जिले की 6 विधानसभा सीटों में से ये अकेली ऐसी विधानसभा सीट है जिस पर आज तक कमल नहीं खिल पाया. आजादी के बाद इस सीट पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया. उसके बाद ये सीट सोशलिस्टों के हाथ में आ गई. वक्त बदला तो इस सीट पर कम्युनिस्टों ने कब्जा जमा लिया. सपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर पिछले दो चुनावों से समाजवादी पार्टी का कब्जा है.

राजधानी लखनऊ से सटी बाराबंकी विधानसभा बंकी ब्लॉक, देवां ब्लॉक और नगरपालिका बाराबंकी को मिलाकर बनी है. मुख्यालय की इस विधानसभा को हथियाने की हसरत सभी दलों को रहती है. लखनऊ-अयोध्या नेशनल हाइवे इसी विधानसभा से गुजरा है. इसी विधानसभा के देवां कस्बे में मशहूर सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की मजार है, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आकर अपनी मुरादें पाते हैं. इसी विधानसभा के हंडियाकोल में स्थित श्रीराम वन कुटीर आश्रम है, जहां हर वर्ष हजारों गरीबों की आंखों का निशुल्क इलाज होता है. विधानसभा से होकर रेट नदी गुजरती है. यहां नहरों का जाल भी बिछा है. बाराबंकी रेलवे स्टेशन एक बड़ा जंक्शन है, जहां से अयोध्या, बनारस होते हुए बिहार और कोलकाता तक जाया जा सकता है. वहीं यहां के दूसरे रुट से गोंडा होते हुए गोरखपुर और नेपाल तक जाया जा सकता है. यहां हिंदी, उर्दू और अवधी भाषा बोली जाती है.

बाराबंकी विधानसभा सीट

खास मानी जाती है यह विधानसभा सीट

शहर से सटा सोमैयानगर इंडस्ट्रियल क्षेत्र है, जहां दर्जनों छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज हैं. हालांकि शुगर मिल और सूत मिल बंद हो चुकी हैं. जहांगीराबाद का मशहूर किला इसी विधानसभा क्षेत्र में है तो चक गंजरिया फार्म भी यहीं है. यहां प्रदेश की पहली और अनोखी लैब है, जहां टेस्टट्यूब काऊ बेबी पैदा की जाती हैं.

देवा शरीफ.

कुल मतदाता

बाराबंकी-268 विधानसभा में कुल 3 लाख 80 हजार 763 मतदाता हैं. इसमें 2 लाख 3 हजार 513 पुरुष और 1 लाख 77 हजार 215 महिला मतदाता हैं. इसके अलावा 35 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं.

अनुमानित जातिगत आंकड़ा

बाराबंकी विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ों की बात करें तो यहां मुस्लिम 25 फीसदी, यादव 12.5 फीसदी, ब्राह्मण 11 फीसदी, रावत 11 फीसदी, कुर्मी 11 फीसदी, क्षत्रिय 9.5 फीसदी और अन्य 20 फीसदी मतदाता हैं. मुस्लिम और यादव गठबंधन के चलते पिछले दो चुनावों से समाजवादी पार्टी यहां से अपना परचम लहराती रही है.

इस सीट पर अब तक के चुनाव परिणाम

वर्षविजयी प्रत्याशी

1951 जगत नरायन कांग्रेस
1957 भगवती प्रसाद निर्दल
1962 जमीलुर्रहमान कांग्रेस
1967 अनंतराम जायसवाल संयु0सोश0पार्टी
1969 अनंतराम जायसवाल संयु0सोश0पार्टी
1974 रामचन्द्र बक्श सिंह सीपीआई
1977 मोहम्मद शमीम अंसारी जनता पार्टी
1980 पार्वती देवी जनता पार्टी
1985 रामचन्द्र बक्श सिंह सीपीआई
1989 रामचन्द्र बक्श सिंह सीपीआई
1991 छोटेलाल यादव जनता पार्टी
1993 छोटेलाल यादव समाजवादी पार्टी
1996 संग्राम सिंह कांग्रेस
2002 छोटेलाल यादव समाजवादी पार्टी
2007 संग्राम सिंह बसपा
2012 धर्मराज यादव समाजवादी पार्टी
2017 धर्मराज यादव समाजवादी पार्टी

वर्ष 2007 के परिणाम

वर्ष 1991 के चुनावों से सपा हमेशा यहां हावी रही. कभी वो जीती तो कभी दूसरे स्थान पर रही.

उम्मीदवार पार्टी प्राप्त मत

संग्राम सिंह बसपा 49030
छोटेलाल यादव सपा 38365
नईम अहमद सिद्दीकी कांग्रेस 29128
उमाशंकर वर्मा भाजपा 5232

वर्ष 2012 के चुनाव परिणाम

वर्ष 2012 में यहां से 26 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन मुख्य मुकाबला सपा और बसपा में रहा. भाजपा चौथे स्थान पर रही.

उम्मीदवार पार्टी प्राप्त मत

धर्मराज सिंह यादव सपा 82343
संग्राम सिंह बसपा 59573
छोटेलाल यादव कांग्रेस 23687
संतोष सिंह भाजपा 14912

वर्ष 2017 का परिणाम

वर्ष 2017 में इस सीट के लिए 15 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इस बार भी मुख्य मुकाबला सपा और बसपा में ही रहा, लेकिन इस बार भाजपा चौथे से तीसरे स्थान पर आ गई. खास बात यह रही कि यहां की तमाम जनता को इनमें से कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आया. लिहाजा चौथा स्थान नोटा को मिला.

उम्मीदवार पार्टी प्राप्त मत

धर्मराज सिंह यादव सपा 99453
सुरेंद्र सिंह बसपा 69748
हरगोविंद सिंह भाजपा 67112
नोटा किसी को नहीं 1622

सीट पर कब्जा करने का शुरू हुआ गुणा गणित

वर्ष 2022 के लिए सभी दलों ने इस सीट को हथियाने के लिए गुणा-गणित शुरू कर दिया है. अभी तक इस सीट पर एक बार भी न जीतने वाली भाजपा ने इसे हर हाल में जीतने की रणनीति बनाई है. हालांकि, पार्टी यहां से किसको चुनाव लड़ाएगी इसका खुलासा नहीं हुआ हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी अपने जीते हुए उम्मीदवार धर्मराज उर्फ सुरेश यादव पर एक बार फिर दांव लगा सकती है. कांग्रेस भी इस सीट को जीतकर अपने खोए हुए मुकाम को हासिल करने में लगी है. एक बार इस सीट पर कब्जा जमा चुकी बसपा पिछले दो चुनावों में दूसरे स्थान पर थी. लिहाजा इस बार बसपा इस सीट को जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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