बाराबंकी:जिला पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. जिले के ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इनका आरोप है कि कोरोना संकट के समय पुलिस ने जनता की मदद करने के बजाय उन्हें कष्ट पहुंचाने का काम किया है. आरोप है कि पुलिस ने महामारी अधिनियम का दुरुपयोग करते हुए तमाम बेगुनाहों को जेल भेजा है. पार्टी ने आगामी 28 जून को पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
बाराबंकी पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराज पार्टियां करेंगी प्रदर्शन
यूपी के बाराबंकी में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पार्टी ने आगामी 28 जून को पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. कुछ दिनों पहले रामनगर से भाजपा विधायक शरद अवस्थी ने जिले के जैदपुर थाने की पुलिस को भ्रष्ट बताया था. साथ ही कई तरह के गम्भीर आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी. वहीं अब ऑल इंडिया मुस्लिम पसमांदा महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद के सदस्य रणधीर सिंह सुमन ने पुलिस की कार्यशैली को लेकर संयुक्त रूप से मोर्चा खोल दिया है.
पुलिस पर उठ रहे कई सवाल
वसीम राइन ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि कोरोना जैसी महामारी में जिले की पुलिस ने गरीब और परेशान लोगों की मदद करने के बजाय उन पर फर्जी मुकदमे चलाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने फर्जी तरीके से मार्च और अप्रैल दो माह में 9617 वाहनों के चालान कर डाले और 36 वाहनों को सीज कर दिया. महामारी का संकट और बढ़ा तो मई माह में 8135 वाहनों के चालान किए गए. महामारी अधिनियम के तहत 160 केस दर्ज कर 180 लोगों को गिरफ्तार किया गया. वसीम राइन ने मसौली थाने की पुलिस पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इनका आरोप है कि उनके संगठन के जिलाध्यक्ष बांसा के रहने वाले नसरुद्दीन को मसौली पुलिस ने फर्जी एनडीपीएस का मुकदमा लगाकर जेल भेज दिया.
कम्युनिस्ट पार्टी ने भी खोला मोर्चा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद के सदस्य रणधीर सिंह सुमन ने आरोप लगाया कि पुलिस महामारी अधिनियम का दुरुपयोग कर रही है. एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट ने महामारी अधिनियम के तहत तमाम मुकदमों को समाप्त करने के निर्देश दिए हैं, वहीं यहां की पुलिस मनमानी कर रही है.
कैसा होगा धरने का स्वरूप
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि गांव-गांव कार्यकर्ता बैनर पोस्टर लेकर अपने-अपने घरों के बाहर धरना देंगे. धारा 144 और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन न हो, इसके लिए कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं. इस एक दिन के धरने के बाद समीक्षा कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी, लेकिन यह आंदोलन तब तक चलाया जाएगा, जब तक महामारी अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए जाते, बेगुनाहों को छोड़ा नहीं जाता और लॉकडाउन के दौरान किए गए सारे चालान निरस्त नहीं कर दिए जाते हैं. शर्त यह भी है कि फर्जी मुकदमे दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए.