बाराबंकी: अगर हम खान-पान को लेकर सचेत नहीं हुए तो हमारी थाली में लगातार मिलावटी खाद्य पदार्थों का सिलसिला जारी रहेगा. एफएसडीए विभाग का तो यही कहना है. एफएसडीए की रिपोर्ट बताती है कि 50 फीसदी से ज्यादा खाद्य पदार्थ मिलावटी पाए जा रहे हैं. ऐसे में विभाग के सामने उपभोक्ताओं को शुद्ध खाद्य पदार्थ पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं.
एफएसडीए विभाग द्वारा लिए जा रहे खाद्य पदार्थों के नमूने जिस तरह से फेल हो रहे हैं, उससे खाद्य विभाग के सामने आमजन की थाली तक हेल्दी और मिलावट रहित भोजन पहुंचाना एक बड़ी चुनौती बन गई है. यही वजह है कि विभाग लगातार न केवल उपभोक्ताओं को जागरूक कर रहा है बल्कि मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रहा है. विभाग की मंशा है कि हर कोई "ईट राइट" अभियान से जुड़कर सही भोजन हासिल करें.
50 फीसदी से ज्यादा खाद्य पदार्थ मिलावटी सुरक्षित भोजन के लिए कानून स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भोजन के कानूनी मानकों को तय किया जाता है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नागरिकों को सुरक्षित भोजन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है. मिलावट की रोकथाम हो. इसके लिए वर्ष 1954 में खाद्य अपमिश्रण निवारक अधिनियम बनाया गया था. इस कानून के तहत अपद्रव्यीकरण और झूठे नाम से खाद्य पदार्थो को बेचना दण्डनीय बताया गया है. वर्ष 1986 में इस अधिनियम में संशोधन करके इसे और सख्त बनाया गया.
FSDA करता है छापेमारी
FSDA लगातार दूध, खोया, पनीर, बेसन, खाने का तेल, घी, मसाले, आटा, रंगीन बनाकर बेची जा रही दालें, नमकीन और दूसरे तमाम खाद्य पदार्थों की बिक्री पर नजर रखता है. समय-समय पर मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री की सूचना पर नमूने भर कर इनकी जांच कराई जाती है. नमूने फेल होने पर जुर्माना किया जाता है. तमाम मामलों में अपमिश्रण करने वालों को सजा भी कराई जाती है.
FSSAI की स्थापना
खाद्य सुरक्षा को लेकर गम्भीर मंत्रालय ने वर्ष 2008 में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की स्थापना की. इसका मकसद खाद्य सामग्री के लिए विज्ञान आधारित मानक बनाना और खाद्य पदार्थो के निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को नियंत्रित करना है. इसके अलावा सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2008 में सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान किया गया. इस कानून में दूषित एवं मिलावटी भोजन के उत्पादकों, वितरकों,विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए कम से कम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और 6 महीने से लेकर उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण(FSSAI) इसका नियंत्रण करता है.
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कैसे होती है कार्रवाई
जिले का FSDA विभाग मिलावटी खाद्य पदार्थों के लिये नियमित छापेमारी करता है. इसके लिए पहले ऐसे सम्भावित प्रतिष्ठानों और स्थानों को चिन्हित कर आंकड़े जुटाए जाते हैं. छापेमारी के दौरान नमूने लिए जाते हैं .इन नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है. वहां से आने वाली रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाइयां की जाती हैं.
कहां होती है मामलों की सुनवाई
जिला प्रशासन दो तरह से कार्रवाई करता है. जिन नमूनों की रिपोर्ट असुरक्षित आती है उन मामलों को न्यायालय भेजा जाता है और जिन नमूनों की रिपोर्ट अधोमानक, मानकों के विपरीत और मिथ्या छाप वाली आती है उन्हें एडीएम कोर्ट भेजा जाता है. एडीएम कोर्ट में भेजे जाने वाले मामलों में सुनवाई करके दोषी पाये गए लोगों पर जुर्माना लगाया जाता है, जबकि दीवानी न्यायालय भेजे गए मामलों में सुनवाई के बाद दोषियों के खिलाफ जुर्माना ,सजा या दोनों हो सकती है.
हर वर्ष 10 में से एक व्यक्ति हो रहा गम्भीर बीमार
हमारे समाज मे आज भी तमाम लोग ऐसे हैं जिनको ऐसा भोजन मिलता है जिसकी गुणवत्ता काफी खराब होती है. ये खाना लोगों की सेहत खराब करता है. डब्लूएचओ के मुताबिक दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से हर साल 10 में से एक व्यक्ति बीमार हो रहा है.
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