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बलरामपुर: संक्रांति के दिन सूर्य सरोवर में स्नान करने का है विधान

बलरामपुर जिले के तुलसीपुर तहसील में स्थापित देवीपाटन शक्तिपीठ हजारों वर्षों से लोगों की आस्था का केन्द्र रहा है. संक्रांति पर्व पर इस मंदिर का विशेष महत्व है. यहां पर स्थित सूर्य सरोवर आज भी हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. इस सरोवर को दानवीर कर्ण ने शिव और सूर्य उपासना के लिए अपने तपस्या काल में खुदवाया था.

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Published : Jan 15, 2020, 5:52 AM IST

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संक्रांति के दिन सूर्य सरोवर में स्नान करने का है विधान

बलरामपुर: जिले के तुलसीपुर तहसील में स्थापित देवीपाटन शक्तिपीठ हजारों वर्षों से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है. देवीपाटन नेपाल के पहाड़ियों से निकलने वाली सीरिया नदी के किनारे मां भगवती का पट सहित वाम स्कन्ध गिरा था. जिसका उल्लेख शिवपुराण में सती अध्याय में मिलता है. यहां पर न केवल पांडव कालीन निर्माण कला के साक्ष्य मिले हैं, बल्कि नाथ सम्प्रदाय की स्थापना करने वाले गुरु गोरक्षनाथ ने सालों तक इस धरती पर तपस्या करके इसे पावन बनाया है.

संक्रांति के दिन सूर्य सरोवर में स्नान करने का है विधान.
सभी पर्वों के साथ साथ, संक्रांति पर्व पर इस मंदिर का विशेष महत्व है. यहां पर स्थित सूर्य सरोवर आज भी हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. इस सरोवर को दानवीर कर्ण ने शिव और सूर्य उपासना के लिए अपने तपस्या काल में खुदवाया था.क्या है मकर सक्रांति के दिन सरोवर का महत्वमान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन इस सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को सारे पापों से मुक्ति मिलती है. लोगों का मानना है कि गुरु गोरक्षनाथ अपनी तपस्या के दौरान इसी सरोवर में स्नान करके, यहीं से जल भर के शिव और भगवती को चढ़ाते थे. तब से लेकर आज तक लोग यहां से स्नान करते हैं और जल भरके संक्रांति के दिन शिव मंदिर पर चढ़ाते हैं. साथ ही लोग बताते हैं कि यहां पर यदि इस तरह की तिथियों को स्नान किया जाए तो कुष्ठ और अन्य तरह के तमाम चर्म रोग जड़ से खत्म हो जाया करते हैं.मुख्य पुजारी अमरेंद्र नाथ योगी बताते हैं कि यहां स्थापित सूर्य कुंड में स्नान कर गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा वर्षों पुरानी है. लोग गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर वर्षों पुरानी परंपरा को न केवल बल देते हैं. बल्कि लोग खिचड़ी दान करके व गुरु गोरक्षनाथ को अर्पित कर समाज स्वयं व परिवार के मंगल कामना का आशीष लेते हैं.

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