बलरामपुर: दुनिया में दो विभिन्न बायो डायवर्सिटी साथ लिए अपनी तरह का इकलौता जंगल सुहेलदेव वन्यजीव प्राणी अभ्यारण्य माना जाता है. भारत-नेपाल की सीमा से सटे 672 वर्ग किलोमीटर में फैले और 110 किमी लंबे सुहेलदेव जंगल की सुरक्षा में तैनात कर्मियों और जंगल में हो रही गतिविधियों पर अब मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए नजर रखी जाएगी, जिसकी तैयारी में आजकल वन विभाग जुटा हुआ है.
मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए होगी सुरक्षा. मोबाइल एप्लिकेशन को लेकर तैनात सभी कर्मियों की न केवल ट्रेनिंग करवाई जा रही है, बल्कि इसके ऑफ़लाइन और ऑनलाइन मोड को लेकर भी चर्चा हो रही है. इसके साथ ही सभी वनकर्मियों को इस एप्लिकेशन से जुड़ी तमाम बातें बताई जा रही हैं, जिससे उन्हें फील्ड में कोई दिक्कत न आए.
मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए दूर होगी परेशानी
दरअसल खुद में दो तरह की बायो डायवर्सिटी समेटे सुहेलवा जंगल में सुरक्षा को लेकर तैनात वनकर्मियों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है. मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण व रुट चार्ट का हर बरसात में खत्म हो जाने से सुरक्षाकर्मी परेशान रहते थे. यही नहीं पेट्रोलिंग के दौरान सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर उन्हें काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता था लेकिन अब वन विभाग ने इन सभी परेशानियों को एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए दूर करने के लिए कमर कस ली है.
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा एप्लीकेशन
सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण्य के उच्च अधिकारी अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी द्वारा तैयार मोबाइल एप्लीकेशन 'एम स्ट्रैप्स' के जरिए कर्मियों तथा जंगल में होने वाली अन्य गतिविधियों पर नजर रखेंगे. इस बारे में बताते हुए डीएफओ रजनीकांत मित्तल ने बताया कि वन की सुरक्षा में तैनात कर्मियों की ट्रैकिंग अब डिजिटल तरीके से मोबाइल एप्लीकेशन 'एम स्ट्रेप्स' के जरिए की जाएगी, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा.
डीएफओ ने दी जानकारी
प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) रजनीकांत मित्तल ने बताया कि 672 वर्ग किलोमीटर में फैले सुहेलदेव वाइल्ड लाइफ डिवीजन में 452 वर्ग किलोमीटर सेंचुरी क्षेत्र है, जिसकी सुरक्षा के लिए अलग-अलग मौसम में एसएसबी और स्थानीय पुलिस की संयुक्त पेट्रोलिंग समय-समय पर होती है. जंगल में कई जगहों पर बैरियर लगे हुए हैं.
मोबाइल एप्लीकेशन से होगी निगरानी
उन्होंने बताया कि वॉच टावर के माध्यम से जंगल की निगरानी की जा रही है. इसके अलावा मोबाइल एप्लीकेशन 'एम स्ट्रैप्स' के द्वारा निगरानी की जाएगी, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों होंगी. वन कर्मियों के मोबाइल में डाउनलोड इस एप्लीकेशन के माध्यम से तैनात वन कर्मियों का लोकेशन विभाग को मिलता रहेगा. इसके साथ ही उनके आसपास की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी मिलती रहेगी.
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