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बलरामपुर: जानिए कैसे मनोकामना पूर्ण होने का संकेत देते हैं औघड़दानी शिव

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में शहर से तकरीबन एक किलोमीटर दूर ऐतिहासिक जोडग्गा पोखरा शिव मंदिर है. मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले हर श्रध्दालु की मनोकामना पूरी होती है.

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Published : Jul 29, 2019, 4:23 PM IST

मनोकामना पूर्ण होने का संकेत देते हैं औघड़दानी शिव.

बलरामपुर:जिले के तुलसीपुर नगर से तकरीबन 1 किलोमीटर दूर मधनगरी मार्ग पर ऐतिहासिक जोडग्गा पोखरा शिव मंदिर है. यह मंदिर सैकड़ों सालों से श्रद्धालुओं की आस्था का अगाध केंद्र बना हुआ है. प्रत्येक सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. माना जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना भगवान शिव पूर्ण करते हैं.

मनोकामना पूर्ण होने का संकेत देते हैं औघड़दानी शिव.
ऐतिहासिक मान्यता-बलरामपुर का ऐतिहासिक जुड़वा पोखरा शिव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र यूं ही नहीं है, बल्कि इस मंदिर का एक विशेष महत्व है. मंदिर में स्थित पोखरा न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है बल्कि इसके तार आजादी की लड़ाई से भी जुड़ते हैं. बताया जाता है कि मंदिर में बने पोखरे का निर्माण राजा दानबहादुर सिंह ने अपनी पत्नियों के स्नान के लिये करवाया था. राजा की पत्नियां पहले इसमें स्नान किया करती थीं फिर भगवान शिव की पूजा अर्चना करती थीं.

लौकिक मान्यता-

अपनी आस्था को लोग जाहिर करते हुए कहते हैं कि अगर कोई भी भक्त सच्चे दिल से इस शिव मंदिर पर आकर भगवान औघड़दानी का पूजन अर्चन करने के बाद मन में कोई कामना लिए शिवलिंग या जमीन पर हाथ रखता है. फिर अगर उसकी मनोकामना पूरी होनी होती है तो हाथ खुद-ब-खुद जमीन पर डोलने लगता है लेकिन अगर मन में किसी तरह का कपट है या मान्यता नहीं पूरी होनी है तो हाथ वहीं का वहीं धरा रह जाएगा.
कुछ लोग तो यहां तक भी कहते हैं कि अगर शिवलिंग पर सिक्का रख दिया जाए और उसे कितना भी चिपकाया जाए लेकिन अगर औघड़दानी की मर्ज़ी हो तो वह सिक्का सच्ची मनोकामना की स्वीकार्यता के लिए खुद-ब-खुद शिवलिंग पर चलने लगता है.

इस शिवमंदिर का निर्माण राजा दान बहादुर ने करवाया था. तब से लेकर अब तक यहां पर शिव पूजन अर्चन किया जा रहा है. महाशिवरात्रि, कजलीतीज, मलमास और श्रावण मास में भगवान शिव की पूजन अर्चन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रहती है. पूरे सावन माह यहां उत्सव जैसा माहौल होता है.

-बजरंगी, मंदिर के व्यवस्थापक

हम 3 पीढ़ियों से इस मंदिर की देखरेख और पूजा कर रहे हैं. तब से लेकर अब तक इस मंदिर का काफी विकास हुआ है. धीरे-धीरे हम जनसहयोग से मंदिर का पुनर्निर्माण भी करवा रहे हैं. यहां पर लोग प्रतिदिन रुद्रा अभिषेक और जलाभिषेक करते हैं. बाबा शंकर सभी की मनोकामनाओं को पूरा करने का काम करते हैं.

-राम गिरी,मंदिर के पुजारी

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