बलरामपुरः वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान पलायन की अब विभस्त कहानियां भी देखने और सुनने को मिल रही हैं. चारों तरफ से पलायन का दौर चल रहा है. महानगरों में चारों तरफ फैल रही भुखमरी और अन्य समस्याओं के कारण मजदूर वर्ग बड़े पैमाने पर लगातार पलायन कर रहा है. लॉकडाउन और परिवहन के संसाधनों की कमी भी महानगरों में पलायन को रोकने में नाकाम हो रही है.
महामारी से पहले भूख से मरने का डर
महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और अन्य औद्योगिक प्रदेशों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक और अन्य गरीब तबके के लोग अपने जिलों और गांवों की तरफ लगातार पलायन कर रहे हैं. परिवहन की व्यवस्था नहीं मिलती तो वह जुगाड़ से किसी न किसी तरह से अपने घरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि परेशानियां ही इस कदर है कि अगर अपने काम की जगह पर रुके तो महामारी से मरे या न मरे, लेकिन भूख और बेरोजगारी की वजह से जरूर मर जाएंगे.
एक पिकअप में 22 लोगों ने की 1600 किमी की यात्रा
बलरामपुर-श्रावस्ती बॉर्डर पर भिवंडी से आ रहे लोगों को रोका गया तो एक छोटी सी पिकअप में 22 लोग मिले. इसमें एक महिला भी थी जो 2 बच्चों के साथ 1600 किमी. की इतनी कठिन यात्रा करके बलरामपुर पहुंची थी. सभी लोग तकरीबन 3 दिनों से भूखे थे, क्योंकि राशन ख़त्म हो गया था और कहीं रुकने पर पुलिस का डर था. इन लोगों को बलरामपुर से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर गोंडा जिले के इटियाथोक जाना था. इस छोटी सी पिकअप में कुछ लोग ऐसे भी थे, जो बलरामपुर जिले के ही रहने वाले थे.