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बलरामपुर: जनऔषधि दिवस के दिन खुली 'केंद्र' की पोल, नहीं मिलती है मरीजों को दवाएं

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में जनऔषधि दिवस पर देशव्यापी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. लेकिन मरीजों की माना जाए तो उन्हें सरकारी चिकित्सक अस्पताल में जन औषधि केंद्र की दवाएं लिखने के बजाए प्राइवेट मेडिकल स्टोर की दवाएं लिखी जाती हैं. जन औषधि केंद्र पर महज 10 प्रतिशत दवाएं ही उपलब्ध रहती है.

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जन औषधि केंद्र में नहीं मिलती है मरीजों को दवाएं.

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Published : Mar 8, 2020, 4:58 AM IST

बलरामपुर: एक तरफ जहां केंद्र सरकार जनऔषधि दिवस का उत्सव देशभर में मना कर अपना पीठ थपथपा रही है. वहीं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से लोगों को दवाएं लेने में मशक्कत करनी पड़ती है. बलरामपुर जिले के संयुक्त जिला चिकित्सालय में स्थित जिले का एक मात्र केंद्र न केवल दवाओं की कमी झेल रहा है. इस कारण बल्कि मरीजों को खाफी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है.

जन औषधि केंद्र में नहीं मिलती है मरीजों को दवाएं.
देशव्यापी कार्यक्रम का आयोजनजन औषधि दिवस पर देशव्यापी कार्यक्रम का आयोजन कर स्वास्थ्य विभाग के आला-अधिकारी और विधायक अपनी पीठ थपथपाते नजर आए. वहीं, दूसरी ओर मरीजों को जिले के एक मात्र जन औषधि केंद्र से दवाएं न मिलने की शिकायत आम हो रही हैं. सीडीएच में तैनात डॉक्टर यहां की दवाएं लिखने के बजाय प्राइवेट मेडिकल स्टोरों के लिए दवाएं लिखते हैं, जिस कारण मरीज बाहर से मंहगी दवाएं लेने को मजबूर हैं.अगर मरीजों की माने तो सरकारी चिकित्सक अस्पताल में दवा न होने का की बात कहकर जन औषधि केंद्र की दवाएं लिखने के बजाए प्राइवेट मेडिकल स्टोर की दवाएं लिखते हैं, जिससे उन्हें मजबूरन बाहर से सस्ती दवाओं की जगह महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती है.

सस्ती दवाओं की सुविधा का नहीं मिल रहा लाभ
जन औषधि केंद्र पर जितनी होनी चाहिए उसकी महज 10 प्रतिशत दवाएं ही जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध रहती है. मरीजों और उनके तीमारदारों को सरकारी निशुल्क और सस्ती दवाओं की सुविधा का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.

प्रिंट रेट से महंगी मिलती है दवाएं
इस दौरान छोटू टेलर और शाहिद जैसे मरीजों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर दवाओं की मौजूदगी बिल्कुल न के बराबर होती है. वहीं, सरकारी चिकित्सक भी साल्ट लिखने की जगह ब्रांडेड दवाओं का नाम लिखते हैं, जिससे जन औषधि केंद्र पर दवाएं नहीं मिल पाती हैं. मरीजों ने बताया कि जन औषधि केंद्र पर दवाएं प्रिंट रेट से महंगी भी दी जाती है. इसके साथ ही जितनी दवाइयां यहां होनी चाहिए उसकी पूरी तरह से उपलब्धता तक नहीं है.
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इस के लिए मैं सीएमओ से बात करूंगा और उनसे यह कहूंगा कि वह जल्द से जल्द अस्पताल में मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध करवाएं, जिससे गरीब मरीजों को परेशान न होना पड़े.
-पलटूराम, विधायक, भाजपा

एक सिक्के के दो पहलू हैं. डॉक्टर दवा लिखेगा ही नहीं तो मरीज खरीदेगा कैसे और यदि केंद्र पर दवा रखी ही नहीं जाएगी तो डॉक्टर लिखेगा कैसे.
- डॉ. घनश्याम सिंह, सीएमओ

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