बहराइच: जिले में नेपाली नदियों का पानी आने के कारण बाढ़ का तांडव जारी है. जिले की चार तहसीलों महसी, मिहींपुरवा, नानपारा और कैसरगंज तहसीलों के 58 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त है. बाढ़ पीड़ित प्रशासन पर बचाव और राहत कार्य में शिथिलता का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराने की बात कह रहा है.
नेपाल के पहाड़ों पर हो रही भीषण बारिश के कारण बहराइच में घाघरा और सरयू नदी उफान पर हैं. घाघरा और सरयू नदी में बाढ़ आने के कारण महसी, कैसरगंज, मिहीपुरवा और नानपारा तहसील क्षेत्र के 58 राजस्व गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. दर्जनभर से अधिक गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. बाढ़ पीड़ित बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं. गांव में बाढ़ का पानी भरने के कारण ग्रामीण तटबंधों और सड़क के किनारे के खाली स्थानों पर शरण लेने को विवश हैं. बाढ़ पीड़ित प्रशासन पर बचाव और राहत कार्यों में शिथिलता बरतने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने की बात कह रहा है.
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) जय शंकर पांडे ने बताया कि बहराइच में महसी, कैसरगंज, मिहींपुरवा और नानपारा तहसीलों के 82 गांव बाढ़ से प्रभावित थे. लेकिन अब पानी का असर कम होने से 58 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. उन्होंने बताया कि कैसरगंज तहसील के 33 गांव पंचायतें और महसी तहसील कि 25 ग्राम सभाएं बाढ़ से प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि सभी प्रभावित गांवों में लोगों के आवागमन और बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने के लिए 185 नावें लगा दी गई हैं. साथ ही 14 हजार 448 परिवारों को राशन किट उपलब्ध कराई गई है. इसके अतिरिक्त 6612 बाढ़ पीड़ितों को पॉलीथिन उपलब्ध कराई गई है.
उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग, स्वास्थ विभाग और पशुपालन विभाग की टीमें बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में निरंतर भ्रमणशील हैं. उन्होंने कहा कि पशुओं के टीकाकरण और पशुओं को चारा उपलब्ध कराने में पशुपालन विभाग लगा हुआ है. स्वास्थ विभाग बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में कैंप लगाकर बीमार लोगों के उपचार में लगा है. अपर जिलाधिकारी बाढ़ पीड़ितों को हरसंभव मदद और राहत उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं, जबकि बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह की राहत उपलब्ध न कराने के आरोप लगा रहे हैं.