अंबेडकरनगर:परिषदीय विद्यालय गरीब बच्चों के शिक्षा ग्रहण करने का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. सरकार भी इन विद्यालयों की दशा सुधारने और इनमें पढ़ने वाले बच्चों को सुविधा देने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. शिक्षा देने के नाम पर उनके साथ यहां सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है. लापरवाही का आलम इस कदर है कि इन विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं हैं.
अंबेडकरनगर: बेसिक शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ महज औपचारिकता
सरकार बेहतर शिक्षा व्यवस्था देना का दावा करती है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. अंबेडकरनगर के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, जिसकी वजह से गुणवत्तापरक शिक्षा बच्चों को नहीं मिल पा रही है.
ईटीवी भारत ने परिषदीय विद्यालयों का किया निरीक्षण-
परिषदीय विद्यालयों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने मंगलवार सुबह शारदा प्राथमिक विद्यालय त्रिलोकनगर का निरीक्षण किया, यहां पर 69 बच्चों का नामांकन है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए विद्यालय में सिर्फ एक शिक्षामित्र मालती की तैनाती है, जो तकरीबन 3 वर्षों से अकेले ही इस विद्यालय में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाती हैं. मालती एक दिव्यांग महिला हैं.
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इसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने प्राथमिक विद्यालय आहात की हकीकत जानी. यह विद्यालय टांडा नगर के सबसे वीवीआईपी इलाके में नगर पालिका और तहसील कार्यालय के बीच में है. यहां भी सिर्फ एक ही शिक्षामित्र गिरिजा की तैनाती है. इनके कंधों पर 84 बच्चों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी है. गिरिजा का कहना है कि अध्यापकों की कमी से बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है. गिरिजा ने बताया कि इस समस्या को विभाग के अधिकारी भी जानते हैं, लेकिन सब बेपरवाह बने हुए हैं.