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अलीगढ़ जहरीली शराबकांड: 25 शराब माफिया डी-73,74,75,76 गैंग में हुए चिन्हित

अलीगढ़ पुलिस ने सक्रिय शराब माफिया और तस्करों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की है. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने ऑपरेशन प्रहार के तहत 25 शराब माफिया और तस्करों पर 4 गैंग पंजीकृत करायें हैं.

25 शराब माफिया डी-73,74,75,76 गैंग में हुए चिन्हित
25 शराब माफिया डी-73,74,75,76 गैंग में हुए चिन्हित

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Published : Jul 28, 2021, 10:43 PM IST

अलीगढ़ः शासन और डीजीपी मुख्यालय के निर्देश पर अलीगढ़ पुलिस ने सक्रिय शराब माफिया और तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने ऑपरेशन प्रहार के तहत 25 शराब माफिया और तस्करों पर 04 गैंग पंजीकृत करायें हैं. ये अब थानों में डी-73, 74, 75, 76 गैंग के नाम से जाने जाएंगे. अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड में 125 लोगों से अधिक की मौत हुई थी. जिसमें 86 आरोपी अबतक गिरफ्तार किये जा चुके हैं.

नीरज चौधरी का गैंग थाना पिसावा में पंजीकृत किया गया है. जो डी-73 गैंग के नाम से जाना जाएगा. खैर इलाके के रहने वाले नीरज इस गैंग के लीडर है. इसमें विवेक कुमार, संदीप, वीरपाल सदस्य के रुप में शामिल है. विक्रम सिंह का गैंग भी थाना पिसावा में पंजीकृत है. डी-74 गैंग का लीडर विक्रम के साथ राम खिलौनी, रवि, राजेन्द्र पाल सदस्य के रुप में शामिल हैं. मदन गोपाल उर्फ कालिया का गैंग मडराक में पंजीकृत है. जिसे डी-75 गैंग के नाम से जाना जाएगा. इस गैंग में आठ सदस्य शामिल हैं. दिलीप दुबे का गैंग थाना टप्पल में पंजीकृत है. जो डी-76 गैंग के नाम से जाना जाएगा. जिसमें नौ सदस्य शामिल हैं.

कार्यालय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक

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एसएसपी कलानिधि नैथानी द्वारा शराब प्रकरण में संलिप्त अपराधियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ एनएसए, हिस्ट्रीशीट, गैंगस्टर,जब्तीकरण और गैंग पंजीकृत कराने की कार्रवाई करने के लिए सभी अधीनस्थों को निर्देशित किया गया था. इसी क्रम में अलीगढ़ पुलिस द्वारा शराब माफिया और तस्करों की आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने एवं विशेष निगरानी रखने के लिए विभिन्न थानों में 25 शराब माफिया और तस्करों के खिलाफ 4 गैंग पंजीकृत कराये गये है. ये गैंग संगठित होकर मुख्य रूप से अपमिश्रित शराब का कारोबार और व्यापार जैसे जघन्य अपराध करने के अभ्यस्त अपराधी हैं. जहरीला शराब प्रकरण में संलिप्त अपराधियों को चिन्हित कर प्रत्येक गैंग का गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत कराने के साथ अलग से गैंग पंजीकृत करने के भी आदेश दिये गये थे. ताकि इनका गैंग अलग नाम पाकर अभिलेखों में आने वाले दशकों तक विशेष नाम से जाना जाए. इसके साथ ही इन पर उचित निगरानी की जा सकें.

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