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ठगी का नया तरीका: ट्रू कॉलर ऐप का हो रहा इस्तेमाल, एसएसपी के नाम का उठा रहे फायदा

शातिर जालसाज ठगी के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं और लोगों को चकमा दे रहे हैं. जालसाज ट्रू कॉलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. आगरा में ठगों ने एसएसपी के नाम से नंबर सेवकर लोगों पर रौब झाड़ा.

आगरा में ठगी
आगरा में ठगी

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Published : Jul 5, 2022, 10:31 AM IST

आगरा:शातिर जालसाजों ने ठगी करने के लिए एसएसपी तक के नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. अपराधी नंबरों को ट्रू कॉलर पर जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों के नाम से सेवकर ठगी और लोगों पर रोब झाड़ रहे हैं.

फ्रॉड और अंजान कॉल्स से बचने के लिए आज अमूमन लोग ट्रू कॉलर ऐप का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह कॉल करने वाले की आइडेंटिटी जान सकें. लेकिन, आज-कल शातिर जालसाज अपने नंबरों को जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों के नाम से सेवकर ठगी को अंजाम दे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. बदमाशों ने ट्रू कॉलर पर एसएसपी आगरा के नाम से आईडी बनाकर लोगों से गोपनीय जानकारियां जुटाई हैं. आपराधिक प्रवत्ति के लोग इस ऐप का फायदा उठा रहे हैं. रसूखदार जनप्रतिनिधि, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के नाम से मोबाइल नंबर सेवकर करके उस नंबर का इस्तेमाल ठगी और वसूली करने के लिए कर रहे हैं.

केस 1: सोमवार को एक व्यक्ति के नंबर से एक व्यापारी को फोन आया. व्यापारी के मोबाइल पर एक जनप्रतिनिधि का नाम लिखकर आया. व्यापारी ने तत्काल फोन करने वाले के निर्देश पर काम कर दिया. बाद में पता चला वो नंबर जनप्रतिनिधि का था ही नहीं.

केस 2: सोमवार को मीडिया जगत से जुड़े एक व्यक्ति को अंजान नंबर से फोन आया और एक खबर को न छापने का आग्रह किया गया. ट्रू कॉलर पर नंबर एसएसपी आगरा के नाम से सेव नजर आया. बाद में जब उसने नंबर देखा तो वो नंबर सरकारी सीयूजी नंबर नहीं था.
एसएसपी आगरा के सीयूजी नंबर पर कॉल करके जानकारी लेने पर पीआरओ ने नंबर लेकर जांच की तो नंबर पुलिस से जुड़े किसी व्यक्ति का नहीं था. पीआरओ ने तत्काल साइबर सेल को नंबर की जानकारी देकर जांच के लिए कहा.

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ट्रू कॉलर जैसी ऐसी कई आइडेंटिटी ऐप प्ले स्टोर और वेबसाइट्स के माध्यम से सीधे मोबाइल में डाउनलोड हो जाती हैं. इनके बारे में आप सही जानकारी भी नहीं जुटा सकते. अब शातिर ठग अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की फोटो लगाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं. इसमें लोग अधिकारियों के नाम वाला कॉल अपने मोबाइल पर देखकर घबरा जाते हैं. इसके बाद लोग अपनी गोपनीय जानकारियां जालसाजों को दे देते हैं. इन मामलों को लेकर पुलिस लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से सावधानी बरतने के लिए अभियान चला रही है. वहीं, आपको भी सावधान रहने की जररूत है. लेकिन, एसएसपी या अन्य कोई जनप्रतिनिधि के नाम से आपके पास कॉल आए तो उस नंबर की पूरी तरह से जांच कर लें. सीयूजी नंबर होने पर ही उनसे जानकारियां साझा करें. अन्यथा आप जालसाजों का अगला शिकार हो सकते हैं.

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