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इस दिवाली जेल में बने गोबर के दीयों से जगमग होंगे घर

आगरा में जिला कारागार की तरफ से एक नया प्रयोग सामने आया है. दीपावली त्योहार के मौके पर यहां जेल के बंदियों से गाय के गोबर के दीपों का निर्माण कराया जा रहा है. इन दीपों को जिला जेल परिसर तो सजाया ही जाएगा. इसके अलावा हजारों की संख्या में दीपक तैयार कर इन्हें विक्रय भी किया जाएगा.

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Published : Oct 19, 2022, 3:48 PM IST

आगरा: इस बार जेल परिसर समेत लोगों के घर गाय के गोबर से बने दीपों से रोशन होंगे. इसके लिए दीपावली से पहले जिला कारागार ने गाय के गोबर से दीप बनाने की पहल की है. जेल के बंदी गाय के गोबर से दीपों का निर्माण कर रहे हैं. करीब हफ्ते भर से यह दीपक बनाए जा रहे हैं और दीपावली तक करीब एक लाख दीप निर्माण का लक्ष्य है. यह जानकारी जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने दी है.

दरअसल जिला जेल में एक गौशाला स्थित है, जिसमें 80 से 85 गाय पाली जाती हैं. यहां से निकलने वाले गोबर से पहले भी कई प्रयोग हो चुके हैं. इससे पहले जिला जेल के बंदियों ने गाय के गोबर से लकड़ियों का निर्माण किया था, जिन्हें बेचा भी गया था. इस बार दीपावली के मौके पर गाय के गोबर से दीपक बनाए जा रहे हैं. इनसे सजा जेल परिसर तो जगमग करेगा ही. इसके अलावा लोगों के घर भी इन दीपों से रोशन होंगे.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट
जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने बताया कि जिला जेल में मौजूद बंदी कई तरह के निर्माण कार्य करते हैं. दीपावली का त्यौहार आने वाला है, ऐसे में वह इस बार गाय के गोबर से दीपक बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि आगरा में आवल खेड़ा में मौजूद गायत्री शक्तिपीठ पर वो भ्रमण करने गए थे. वहां उन्होंने गायत्री शक्तिपीठ में प्रयोग में लाए जा रहे गाय के गोबर से बने दीपक देखे. यह देखकर उन्होंने इसके निर्माण प्रक्रिया के बारे में शक्तिपीठ के कर्मचारियों से चर्चा की और जिला जेल में दीपावली से पहले इन दीपकों का निर्माण शुरू करवा दिया.
गाय के गोबर से दीपक बनाते हुए जेल के बंदी
पीडी सलोनिया ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ से उन्हें 51 हजार दीपक बनाने का ऑर्डर मिला है. वह 40 पैसे प्रति दीपक की दर से विक्रय करेंगे. इसमें वह करीब 25 हजार दीपक गायत्री शक्तिपीठ को बना कर दे चुके हैं. बाकी के दीपक भी जल्द ही पहुंचा दिए जाएंगे. उनका कहना है कि दीपावली तक करीब एक लाख दीपों का निर्माण किया जाएगा. गायत्री शक्तिपीठ में दीपक भेजने के बाद जो दीपक शेष रह जाएंगे उन्हें जिला जेल में कैदियों से मिलने आने वाले आगंतुकों को बेचने की तैयारी है.
जिला कारागार आगरा

पीडी सलोनिया ने बताया कि यह दीपक किसी भी तरह से हानिकारक नहीं हैं. हालांकि गाय के गोबर से बने दीपकों में आग लगने की संभावना रहती है. लेकिन उन्होंने खुद दीपक जलाकर देखे हैं. इसमें पाया गया कि दीपक जलाने पर न तो यह तेल को सोखता है और न ही इसमें आग लगती है. दीपक बनाने में गाय के गोबर के अलावा किसी अन्य सामग्री का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला जेल में एक गोशाला काफी समय से चल रही है. जिसमें करीब 80 से 85 गायों का पालन-पोषण होता है. उन्हीं के गोबर से इन दीपकों का निर्माण किया जा रहा है.

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