आगरा: जिले मेंडॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. एसटीएफ ने प्रो. विनय पाठक और उनके करीबी अजय मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का लखनऊ में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की है. एसटीएफ ने विश्वविद्यालय में हुए अन्य भ्रष्टाचार की फाइलें खंगालना शुरू कर दिया है. इसमें कॉलेजों की मान्यता, संबद्धता, सेंटर बनाने, निर्माण कार्य समेत अन्य कार्य हैं. जिनमें भी करोड़ों रुपये की कमीशन और रिश्वत की डील उजागर हो सकती है.
एसटीएफ के सूत्रों की मानें तो अब तक जो सबूत मिले हैं उसके मुताबिक, आगरा में अलग मुकदमे दर्ज कराए जाएंगे. एसटीएफ के रडार पर पूर्व कुलपति के साथ ही दस से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी हैं. इन्होंने करोड़ों की संपत्ति बनाई है और आय से अधिक संपत्ति है. एसटीएफ गोपनीय सूचनाएं जुटाकर सभी की कुंडली बना रही है.
बता दें कि बीएएमएस की आंसरशीट बदलने की जांच सीएम योगी ने एसटीएफ को सितंबर 2022 में दी थी. इस पर एसटीएफ ने विश्वविद्यालय में अपना एक अस्थायी कार्यालय बनाया है. एसटीएफ ने पीड़ितों की शिकायत और मदद के लिए अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की है. इससे सीधे पीड़ित एसटीएफ से शिकायत कर सकते हैं. इनसे एसटीएफ को कई शिकायतें मिली हैं. जिनकी छानबीन एसटीएफ कर रही है.
बता दें कि एसटीएफ को विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक के कार्यकाल में कॉलेजों की मान्यता, कॉलेजों की संबद्धता, परीक्षा केंद्र बनाने में मोटी रकम लेने के अलावा विश्वविद्यालय में हुए निर्माण कार्य समेत अन्य कार्य में भ्रष्टाचार और कमीशन का आरोप है. इसकी छानबीन में तमाम दस्तावेज भी एसटीएफ के हाथ लगे हैं. एसटीएफ सूत्रों की मानें तो सबूतों के आधार पर पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ आगरा के हरिपर्वत थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है.
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