वाराणसी: विधानसभा चुनावों से पहले एक तरफ जहां नेता अपनी तैयारियों में जुटे हैं तो वहीं कई सामाजिक चिंतक और समाज सुधारक भी अपने स्तर पर राजनीति की दिशा और दशा पलटने की कोशिशों में जुट गए हैं. सामाजिक चिंतक और वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने भी देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचकर समाज में चल रही तमाम गलत धारणाओं पर अपने विचार व्यक्त करने शुरू किए हैं. वाराणसी पहुंचे पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की और उन्होंने देश को पहले बताते हुए, सरकारों को देश के लिए काम करने वाला बताया. उनका साफ तौर पर कहना था कि देश में बदलाव तभी संभव है, जब समाज बदलाव की दिशा में काम करना शुरू करे. सिर्फ सरकारों पर ठीकरा फोड़ने से बदलाव नहीं हो सकता है.
मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि मेरा कोई राजनैतिक एजेंडा नहीं है. मैं सरकार के किसी फैसले पर टिप्पणी नहीं करता हूं. सरकार फैसले लेती है, यह उनका काम है. आर्टिकल 35ए का जिक्र किसी ने नहीं सुना है. इस आर्टिकल के तहत जम्मू कश्मीर को जो पावर केंद्र सरकार के पास थी. वही जम्मू-कश्मीर के पास थी. पाकिस्तान से एक लड़का जम्मू-कश्मीर में आकर शादी करता है और रातों-रात वह वहां का नागरिक बन जाता है. जब वह जम्मू-कश्मीर का नागरिक बनता है तो वह भारत का नागरिक बन जाता है.
अगर वह पाकिस्तान से नहीं आया और उसने कहीं और से आकर भारत की नागरिकता ले ली तो इसका विरोध कोई नहीं करता था और न ही कर रहा था. जब तक आप देश के लिए नहीं आगे आएंगे, तब तक कुछ नहीं होगा. टोटल वर्कशीप ऑफ एक्ट, टोटल फ्रॉड है. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का कहना है कि मैं हिंदूवादी नहीं हूं. मुझे हिंदूवादी क्यों कहा जाता है. मैं हिंदूवादी कहीं से नहीं हूं. यदि देश के उन मुद्दों के बारे में बोलना, जो छिपे हुए थे वह हिंदूवादी है तो यह गलत है. यह वह मुद्दे हैं जिनको अब तक छिपाया गया और जब कोई उठाएगा तो उसे एंटी मुस्लिम या हिंदू वादी ही कहा जाएगा. इसलिए मेरी दरख्वास्त है कि मुझे हिंदूवादी ना कहा जाए. मैं इस देश के सामने ऐसी चुनौतियों के लिए लड़ रहा हूं, जिनके खिलाफ लोग आवाज नहीं उठाते थे.
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने सवाल उठाते हुए कहा कि अल्पसंख्यक शब्द में सिर्फ एक ही नाम आता है. अल्पसंख्यक के नाम पर सिर्फ मुसलमान दिखाई देता है. क्यों 40,000 पारसियों के बारे में कोई नहीं सोचता है. उनके यहां शादी करने के लिए लड़के-लड़कियां नहीं हैं. कभी सिख, बौद्ध समुदाय के बारे में किसी ने सोचा. इनको कितना बजट दिया गया. अल्पसंख्यक के नाम पर 2006 में जैन धर्म को भी अल्पसंख्यकों में जोड़ा गया.
अल्पसंख्यकों का नरेटिव सिर्फ मुसलमानों के नाम पर बनाया गया है. अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन सिर्फ मुसलमान ही बनता है. जब यही हाल है तो देश किस बात का सेक्युलर है. यहां पर आदमी आदमी के खिलाफ खड़ा है. सिखों से पूछिए उनको कितनी स्कॉलरशिप मिली है आज तक, सब कुछ मुसलमानों को अल्पसंख्यकों के नाम पर दिया जा रहा है. सच्चर कमीशन ने भी गलत काम किया. मेरे बच्चे आईपीएस, आईएएस नहीं बनेंगे क्या. उनको प्रोत्साहन नहीं मिलना चाहिए.
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आज ब्राह्मणों के नाम पर राजनीति हो रही है लेकिन क्या अगर आप जन्म से ब्राह्मण हैं तो इसका मतलब आपको कोई अधिकार नहीं है. आज भी लोगों को नहीं पता कि कुल जनसंख्या में से लगभग 3% ब्राह्मण सीवर का काम कर रहे हैं क्योंकि उसके पास नौकरी नहीं है. नरेटिव बना दिया गया है ब्राह्मण ऊपर है. सर्वे कर लीजिए कि कितने अपर कास्ट के लोग निचले स्तर पर काम कर रहे हैं. ब्राह्मण होने का यह मतलब नहीं या अपर क्लास होने का यह मतलब नहीं कि वह पैसे वाला है. बहुत से गरीब लोग हैं तो इनको क्यों अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं. अन्य निचले या अल्पसंख्यक के नाम पर इस देश में सिर्फ मुसलमानों को ही आगे किया जा रहा है. यह देश जिस तरफ जा रहा है वह गलत है.
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आज जो देश में हो रहा है, वह गलत है. बहुत से राज्य जहां पर कभी मुस्लिम अल्पसंख्यक हुआ करते थे. वहां आज हिंदुओं की आबादी अल्पसंख्यक की है, लेकिन फिर भी सुविधाओं के नाम पर हिंदुओं को बहुसंख्यक की तरह और मुसलमानों को अल्पसंख्यकों की तरह ट्रीट किया जा रहा है. जबकि यह गलत है, क्यों न ही सर्वे हो रहा है. क्यों नहीं जहां पर मुसलमान ज्यादा है और हिंदू कम हैं, वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं को बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो 1990 में कश्मीर में हुआ, केरल में हुआ, बंगाल में हुआ वह गलत है.