उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / city

ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद केस की सुनवाई अब 10 मई को

ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद केस (Kashi Vishwanath Temple-Gyanvapi Mosque Controversy) को लेकर दाखिल याचिका पर गुरुवार को बहस पूरी नहीं हो पायी. इस मामले में अगली सुनवाई 10 मई को होगी.

etv bharat
Kashi Vishwanath Temple-Gyanvapi Mosque Controversy

By

Published : Apr 28, 2022, 8:45 PM IST

प्रयागराज:ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद केस (Kashi Vishwanath Temple-Gyanvapi Mosque Controversy) को लेकर दाखिल याचिका पर मंदिर के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की बहस पूरी नहीं हो सकी. अगली सुनवाई 10 मई को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

रस्तोगी ने कहा कि संपत्ति वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत होने मात्र से उसे पर गैर मुस्लिमों का अधिकार खत्म नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि 1960 के वक्फ एक्ट में 1984 में संशोधन किया गया, लेकिन वो लागू नहीं हो सका. संशोधन में वक्फ बोर्ड और गैर मुस्लिम के बीच संपत्ति विवाद की दशा में नोटिस जारी किया जाना अनिवार्य है. वादी विपक्षी को कोई नोटिस नहीं दी गई. इस कारण भी वक्फ एक्ट इस मामले में लागू नहीं होगा.

रस्तोगी ने कहा कि 1995 का वक्फ एक्ट लागू किया गया, तो सभी वक्फ संपत्तियों का दोबारा पंजीकरण करना अनिवार्य किया गया. प्रश्नगत विवादित संपत्ति कभी भी दोबारा पंजीकृत नहीं कराई गई. इसलिए विवादित संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता. रस्तोगी ने कहा कि पंजाब वक्फ बोर्ड बनाम शैम सिंह केस में कहा गया है कि विवादित जमीन वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती.

ये भी पढ़ें- अफसरों-कर्मचारियों के रिश्तेदारों की फर्म को नहीं मिलेगा पंचायती राज विभाग में काम

रस्तोगी ने कहा कि वर्ष 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद जकारिया ने बनारस अधीनस्थ अदालत में वाद दायर किया था. कोर्ट ने दावा साबित न कर पाने के कारण खारिज कर दिया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में प्रथम अपील 1937 में दाखिल की गई, जिस पर 1942 में फैसला हुआ. इसमें केवल नमाज पढ़ने की राहत मिली थी. इसका फायदा दूसरा कोई नहीं उठा सकता, इसलिए याचिका खारिज की जाए.

केंद्र सरकार के अपर सालिसिटर जनरल वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह और राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कहा कि जो भी कोर्ट आदेश देगी, वो पालन करेंगे. कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के विवादित परिसर का सर्वे कराने के आदेश पर लगी रोक 31 मई तक बढ़ा दी. याचिका पर अगली सुनवाई 10 मई को होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details