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वाराणसीः शहरी सीमा में शामिल 84 गांवों को डेढ़ साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं का इंतजार - blueprint for development of 84 villages

वाराणसी के 84 गांव को कागजी तौर पर शहरी सीमा में शामिल हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन, इन गावों के लोग मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं. बारिश के मौसम में बदहाली की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं.

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वाराणसी के 84 गांव के हालात

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Published : Jun 1, 2022, 7:54 PM IST

वाराणसी: केंद्र में मोदी सरकार और यूपी में योगी सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है. विकास के लिए शहर से सटे कई ग्रामीण इलाकों को शहरी सीमा से जोड़कर नगर-निगम में शामिल करने की कवायद की जा रही है. इस क्रम में वाराणसी के ऐसे 84 गांव भी शहरी सीमा में शामिल कर नगर निगम से जोड़े गए हैं, जो लंबे वक्त से मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे.

वाराणसी के 84 गांव मूलभूत सुविधाओं से कोशो दूर हैं.

इन गांवों को शहरी सीमा में आए कागजी तौर पर लगभग डेढ़ साल का वक्त हो गया है, लेकिन यहां के लोगों की जिंदगी में कोई सुधार नहीं है. यहां के लोग बदहाली की जिंदगी के बीच बारिश के मौसम में संघर्ष के साथ जीवन जीने को मजबूर हैं. इन गांवों के विकास को लेकर अब तक सिर्फ नगर निगम में ब्लू प्रिंट बनाने की तैयारी ही हो रही है.

नगर आयुक्त प्रणय सिंह का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के 84 गांवों को शहरी सीमा में जोड़ने के बाद नगर निगम ने करीब 20 वार्ड 1 जोन बढ़ाए जाने की संभावना इस निकाय चुनाव में नजर आ रही है. माना जा रहा है कि 90 से बढ़कर कुल 110 वार्ड वाराणसी में हो जाएंगे और नए ग्रामीण क्षेत्र जुड़ने के बाद 7 हजार से ज्यादा भवन गृह कर के दायरे में आएंगे. इसे लेकर नगर निगम सिर्फ ब्लूप्रिंट ही तैयार कर रहा है. जिसमें की सीवर, पेयजल, बिजली, नाली, ड्रेनेज सिस्टम" स्ट्रीट लाइट और साफ सफाई की व्यवस्था को व्यवस्थित करने जैसे कामों को नगर निगम मैनेज कर सके. लेकिन, अब तक सिर्फ व्यवस्थाओं की रूपरेखा कागजों में खींचे जाने की वजह से गांव से शहर हुए इन इलाकों के लोगों की जिंदगी बदत्तर होती जा रही है.

बारिश का सीजन शुरू होने के बाद इन क्षेत्रों के निवासियों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर अपना दुखड़ा लेकर जाएं किसके पास. क्योंकि ग्रामसभा में जाने पर ग्राम प्रधान सिर्फ इतना ही जवाब देते हैं कि हमने सब काम नगर निगम को सौप दिया है. अब इन जगहों के विकास से हमारा कोई लेना देना नहीं है. वहीं, नगर निगम में जाने पर जवाब मिलता है कि अभी रजिस्टर मेंटेन हो रहा है. चीजें कागज पर आने के बाद आपके यहां काम शुरू हो जाएगा. लेकिन, स्थिति इतनी बुरी है कि बता नहीं सकते.

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि नगर निगम सीमा में शामिल करने से पहले सही मायने में यहां सर्वे होना चाहिए था. यह देखा जाना चाहिए था कि जितने गांवों को निगम से जोड़ा जा रहा है वहां पर ड्रेनेज सिस्टम का क्या हाल है. सड़कों की क्या स्थिति है, नाली बनी है या नहीं, लेकिन इन सबमें से कुछ भी नहीं देखा गया. बस प्रशासन इन क्षेत्रों को शहरी सीमा में शामिल कर नगर निगम से जोड़कर हाउस टैक्स वसूलना है.

लोगों ने कहा कि 2 साल से यहां की जनता बदहाल है. लगभग दो लाख से ज्यादा की आबादी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही हैं. हमारा न ग्रामसभा और न ही नगर निगम कोई साथ नहीं दे रहा है. इसकी वजह से इन इलाकों के निवासी खुद को अनाथ सा महसूस करने लगे हैं. नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने बताया कि इन सभी गांवों को लेकर प्लानिंग की जा रही है. माइक्रो प्लान तैयार करके यहां मूलभूत सुविधाओं का खाका तैयार किया जा रहा है. यहां जल्द ही डेवलपमेंट का काम शुरू हो जाएगा. शिकायतों के निस्तारण के लिए भी एक टीम अलग से बनाई जा रही है, ताकि नए क्षेत्र में नए तरीके से सफाई कर्मियों की तैनाती की जा सके.


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यह गांव मूल रूप से हुए हैं शामिल:भगवानपुर, आंशिक डाफी, छित्तूपुर, सुसुवाही, चितईपुर, अवलेशपुर, करौंदी, सीर गोवर्धन, नासिरपुर गांव, कंदवा, जलालीपट्टी, पहाड़ी, गणेशपुर, कंचनपुर, भिखारीपुर कला, चुरामनपुर, महड़ौली, ककरमत्ता, चांदपुर आंशिक, मंडुवाडीह शिवदासपुर, तुलसीपुर, बड़ागांव, नाथूपुर समेत कई अन्य गांव शामिल है.

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