लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ट्रांसफर विवाद को लेकर सतर्क हो गई है. एक तरफ जहां जांच कमेटी का गठन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Chief Minister Yogi Adityanath) के स्तर पर किया गया. जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर एक दो अफसरों पर कार्रवाई भी की गई है.
वहीं, अब राज्य सरकार पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल पर ध्यान दे रही है और भविष्य में ट्रांसफर को लेकर कोई विवाद न पैदा हो इसको लेकर अब एक नई व्यवस्था भी बनाई जा रही है. शासन के उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है कि विभागों में ट्रांसफर होने पर उन्हें अनुमोदित करने को लेकर एक पारदर्शी व्यवस्था बनाई जाए.
इसके अंतर्गत विभाग के मंत्री विभाग के प्रमुख अधिकारी कर्मचारी संगठनों के एक प्रमुख व्यक्ति एक मॉनिटरिंग कमेटी में हो, जिससे हर स्तर पर बातचीत होते हुए ट्रांसफर प्रक्रिया को आगे बढ़ाई जाए और कोई विवाद की स्थिति ना बने पाए.
ट्रांसफर विवाद के बाद सरकार ला रही नई व्यवस्था दरअसल, सरकार की मंशा है कि पूरी व्यवस्था पारदर्शी तरीके से आगे बढ़े और सरकार की छवि पर कोई असर न पड़ने पाए. पिछले महीने ट्रांसफर प्रक्रिया को लेकर गड़बड़ी सामने आई और सरकार की फजीहत हुई. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brajesh Pathak) के पत्र लिखा तो तमाम तरह के सवाल भी उठे, जो ट्रांसफर किए गए वह ट्रांसफर पॉलिसी के विपरीत हुए. मृतक कर्मचारियों तक के भी ट्रांसफर कर दिए गए. कई विभागों में ट्रांसफर को लेकर विवाद हुए तो सरकार की किरकिरी भी खूब हुई.
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ऐसे में सरकार ने कार्रवाई को लेकर जांच कमेटी भी गठित की. जांच कमेटी आने के बाद कई अफसरों पर कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ सरकार इस कोशिश में है कि ट्रांसफर प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जाए. इसको लेकर शासन स्तर पर एक मानीटरिंग कमेटी बनाने की बात कही जा रही है और सभी विभागों में मंत्री प्रमुख सचिव के बीच समन्वय बनाकर ट्रांसफर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा. कर्मचारी संगठन के एक दो प्रमुख पदाधिकारी को भी रखा जाएगा. जिससे उसके स्तर पर कौन कर्मचारी जीवित है या मृत हो चुका है.
हर स्तर पर पूरा फीडबैक लेने के बाद ट्रांसफर प्रक्रिया को अनुमोदित किया जाएगा, जिससे फिर ट्रांसफर होने के बाद किसी प्रकार का कोई विवाद न खड़ा होने पाए और सरकार की छवि को नुकसान न हो. इन सब को देखते हुए सरकार के स्तर पर एक मीटिंग कमेटी के गठन की बात कही गई है. सूत्रों का कहना है कि इस दिशा में आने वाले कुछ समय में ठोस कारारवाई की जाएगी और इस पर अमल होगा.
अगर सरकार के स्तर पर ट्रांसफर प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाए जाने को लेकर एक मानीटरिंग कमेटी गठन किए जाने की बात हो रही है तो यह स्वागत योग्य है. लेकिन इसके आसार बहुत कम दिखते हैं. कर्मचारी संगठनों की तमाम मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. ट्रांसफर प्रक्रिया में तमाम तरह की अनियमितता होती है. ऐसे में सरकार इससे कर्मचारी संगठनों को दूर ही रखने में भलाई समझती है. सरकार के स्तर पर अगर इस प्रकार के प्रयास हो रहे हैं और वास्तव में जीरो टॉलरेंस की नीति को आगे बढ़ाया जाना है, तो यह स्वागत योग्य कदम है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस दिशा में काम करना होगा, जिससे ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाई जा सकेगी.
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