लखनऊ:उत्तर प्रदेश पुलिस दरोगा भर्ती 2021 विवादों में है. परीक्षा के परिणाम आने के बाद से ही लाखों अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए SIT जांच की मांग कर रहे हैं. वहीं, दरोगा भर्ती में पास हुए 63 अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी ने आंदोलनरत अभ्यर्थियों की मांग को और बल दे दिया है. ये 63 अभ्यर्थी वो हैं जिन्होंने एग्जाम सेंटर की मिलीभगत से परीक्षा पास की थी लेकिन दस्तावेज सत्यापन के दौरान पकड़े गए.
विवाद में परीक्षा केंद्र :यूपी पुलिस में 9534 दरोगा पदों के लिए 12 नवंबर से 2 दिसंबर तक राज्य के विभिन्न सेंटर में ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया गया था. परीक्षा के दौरान ही 23 नवंबर को यूपी एसटीएफ ने गोरखपुर में एक ऑनलाइन सेंटर में चल रहे ऐसे रैकेट का खुलासा किया था जहां सॉल्वर गैंग की मदद से अभ्यर्थियों की परीक्षा दिलाई जा रही थी. इसमें सेंटर का मालिक भी शामिल था. उसके बाद राज्य के कई हिस्सों में कई ऑनलाइन सेंटर का एसटीएफ ने खुलासा किया था जहां सॉल्वर के सहारे या फिर कंप्यूटर सिस्टम हैक कर पेपर हल किया गया था. यही नहीं मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व लखनऊ में गिरफ्तार हुए सभी 63 अभ्यर्थियों ने 7 लाख से लेकर 10 लाख तक एग्जाम सेंटर को पास कराने के लिए दिए थे.
एग्जाम सेंटर ने बनाया था परीक्षा का मजाक :यूपी एसटीएफ व पुलिस की जांच में सामने आया कि ऑनलाइन एग्जाम सेंटर ने अभ्यर्थियों से 7 लाख से लेकर 10 लाख लेकर एग्जाम में पास करवाया था. इसके लिए परीक्षा शुरू होने के बाद संबंधी ऑनलाइन सेंटर के व्यवस्थापक, संचालक व प्रबंधक से मिलीभगत कर अभ्यर्थी का आईपी एड्रेस लेते थे. उस आईपी एड्रेस के सहारे सिस्टम का संचालन खुद लेकर और बेहद ही कम समय में सारे सवालों को हल देते थे. वहीं कुछ मामलों में सेंटर संचालक व प्रबंधक की मिली भगत से अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर की एंट्री कराते थे और उनसे पेपर हल करवा देते थे. इस काम में इन सभी सेंटर ने 5 करोड़ से भी अधिक रुपयों की कमाई की थी.
एग्जाम कराने वाली कंपनी पर उठ रहे सवाल :63 अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी के बाद राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में बीते कई महीनों से धरना दे रहे नौजवानों की उस मांग को बल मिल गया है जिसमें यह कहा जा रहा था कि भर्ती प्रक्रिया में घपला हुआ है. नौजवान उस वक़्त से आरोप लगा रहे थे जब राज्य में एक भी ऐसा अभ्यर्थी नहीं पकड़ा गया था जिसने पैसे देकर परीक्षा पास की थी. लखनऊ के इको गार्डन में जो नौजवान भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके पास कई सबूत हैं. इसके आधार पर वो दावा कर रहे हैं कि भर्ती में बहुत बड़ी धांधली हुई है.
अभ्यर्थियों का आरोप है कि यूपी सरकार ने परीक्षा कराने के लिए जिस एजेंसी का चयन किया वो संदेह के घेरे में है. अभ्यर्थी शुभम् तिवारी का दावा है कि NSIT परीक्षा एजेंसी एमपी समेत देश के 6 राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है. उनके अनुसार मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस कंपनी पर साढ़े तीन करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. इसके बावजूद यूपी में इसी एजेंसी को दारोगा भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई. शुभम् कहते हैं कि जितने भी अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया है, उनके रिस्पांस टाइम से ये पता चला था कि उन्होंने एक मिनट में 40 सवालों का जवाब दिया था. यानी जिसने भी उनका पेपर हल किया था, उसके पास पहले ही पेपर मौजूद था. साफ है कि एग्जाम कराने वाली एजेंसी की संलिप्तता के बिना यह संभव नहीं है.