लखनऊ:राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने 27 मई को रामाशीष राय को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया है. पार्टी को यूपी में मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी है. राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने प्रदेश कार्यालय पर बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दल उत्तर प्रदेश में अपना पुराना जनाधार वापस प्राप्त करने की दिशा में संगठनात्मक संरचना को मजबूत करेगा. उसी दिशा में प्रदेश के संगठनात्मक संचरना का कार्य 31 जुलाई तक पूरा किया जाएगा. प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव में अपनी प्रभावी और मजबूत भूमिका का निर्वाहन करेगा.
आप भारतीय जनता पार्टी में काफी साल तक रहे, आप राष्ट्रीय लोकदल के लिए उपयोगी साबित होंगे, क्या यही सोचकर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आपको प्रदेश अध्यक्ष बनाया है? 'ईटीवी भारत' के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के हर सवाल का जवाब मेरे पास है. उनके छल कपट का पर्दाफाश किया जाएगा. 2024 का लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय लोक दल बेहतर तरीके से लड़ेगा. भारतीय जनता पार्टी को करारा जवाब मिलेगा. आगामी निकाय चुनाव में भी हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे. 31 जुलाई तक हमारा संगठन बनकर तैयार हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश की राजनीति जिस तरह से देशी एवं विदेशी कॉर्पोरेट घराने के शिकंजे में और थैलीशाह के नियंत्रण में जा रही है वह भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. सामान्य जन की भागीदारी जिसमें मजदूर, किसान, छात्र नौजवान, बुद्धिजीवी का समावेश लोकतंत्र में हो ऐसा सपना चौधरी चरण सिंह का रहा है. चौधरी चरण सिंह ने सामान्य और गरीब मजदूर किसान को राजनीति में अवसर प्रदान किया था. जिसके कारण यूपी, बिहार, राजस्थान हरियाणा और मध्य प्रदेश में दर्जनों नेताओं का उन्होंने नेतृत्व खड़ा किया. जिसमें कर्पूरी ठाकुर, मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, रामविलास पासवान, लालू प्रसाद, रामसुन्दर दास, कपिल देव सिंह का नाम है.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल चौधरी चरण सिंह की नीतियों से कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से प्रशिक्षण शिविर में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेगा. उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के उत्पादन का लाभकारी मूल्य, गन्ना किसानों को 14 दिनों में भुगतान, कानून व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान की रक्षा जैसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दे थे. जिसके समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए एनडीए की वर्तमान सरकार ने वायदा किया था, लेकिन इस दिशा में प्रयास अभी तक बेअसर दिखाई दे रहा है और सरकार के वायदे खोखले साबित हो रहे हैं.