लखनऊ : उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों के गुरुजनों के बाद अब राजकीय कॉलेजों के शिक्षकों की भी बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाएगी. इस नई व्यवस्था को अगले 3 महीने में लागू किया जाएगा. इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने निर्देश जारी किए हैं. हालांकि इस निर्देश को लेकर शिक्षकों में नाराजगी भी है. उनका कहना है कि राजकीय विद्यालय के शिक्षकों के दिन में पढ़ाने के साथ ही कई और कार्य भी रहते हैं. ऐसे में बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज होने से शिक्षकों को कई तरह की समस्याएं होंगी.
उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमैट्रिक माध्यम से दर्ज करने के निर्देश राजभवन ने जारी कर दिए हैं. इसके लिए एक से दो महीने का समय संबंधित माध्यमिक विद्यालयों को दिया गया है. शिक्षकों को वेतन भी इसी उपस्थिति के आधार पर जारी किया जाएगा.
शिक्षकों की हाजिरी प्रदेश में बड़ा मुद्दा :प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालय और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों की बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने का मुद्दा अर्से से लटका हुआ है. इससे पहले भी एक बार प्रयास किया गया लेकिन संबंधित विभाग और इसके अधिकारी राजकीय निर्देशों का अनुपालन नहीं करा सके. कई स्कूलों में बायोमैट्रिक व्यवस्था है लेकिन अधिकतर में इसके बिना ही शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज कराई जा रही है. हालांकि अब नए निर्देशों के तहत बायोमैट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है.