लखनऊ:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में बाढ़ नियंत्रण को लेकर तैयारियों की समीक्षा बैठक की. इस बैठक में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा सहित शासन के बड़े अधिकारी उपस्थित थे. बाढ़ प्रभावित जिलों के अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही समीक्षा बैठक में जुड़े थे.
सीएम योगी ने कहा जैसे राज्य आपदा मोचक SDMA कार्य करता है, उसी तरह जिला आपदा प्रबंधन भी कार्य करे. आपदा के मतलब सिर्फ बाढ़ ही नहीं, अन्य आपदाएं भी हैं. जिला आपदा स्तर पर कैसे स्वावलम्बी बनें, इस दिशा में कार्य करना चाहिए. संवेदनशील तटबंधो का निरीक्षण, सिंचाई विभाग और अन्य सहयोगी विभागों के साथ जिलाधिकारी दौरा करें. हर जिले में कंट्रोल रूम होना चाहिए. उपजिलाधिकारी के स्तर पर मानीटरिंग की जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ ही पर सिर्फ ध्यान न रहे, जलजमाव भी न हो, नाला नालों की सफाई पर भी ध्यान देना होगा. जिलाधिकारी थोड़ी भी दिलचस्पी ले लें, तो काम आसान हो जाएगा. ये काम जनवरी फरवरी से ही शुरू होने चाहिए थे, लेकिन यदि अप्रैल में भी शुरू हुआ तो 30 जून तक सारे काम हो जाने चाहिए. कोई भी काम औपचारिक नहीं होना चाहिए.
सीएम ने कहा कि आज प्रदेश में बाढ़ की स्थिति में बदलाव हुआ है, पिछले सत्र में बरसाती पानी आने पर हमने पहले ही तैयारी कर ली थी,उसी के परिणामस्वरूप धन जन की हानि बहुत कम हुई. .जिलाधिकारियों को माइनिंग विभाग के साथ मिलकर नदी के सिल्ट के निष्पादन की प्रक्रिया को करना आवश्यक है, क्योंकि यही सिल्ट बाढ़ का सहायक होता है, नदी के कैचमेंट एरिया में अवैध खनन न होने पाए,क्योंकि यही बाढ़ को आमंत्रित करता है.
उन्होंने कहा कि इस बात पर ध्यान दें, जो भी कार्ययोजना बनी है, उसकी क्वालिटी की जांच हो. बाढ़ बचाव के कार्य को हमने पिछले वर्ष में अच्छा कार्य किया. सबसे बड़ी भूमिका सिंचाई विभाग की होती है, लेकिन जिलों में अन्य सहयोगी विभागों के साथ मिलकर कार्ययोजना पूरा करना होगा.बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में नाव की व्यवस्था के लिए बाढ़ का इंतज़ार न करिये. मवेशियों के लिए भूसा चारा का इंतज़ाम बाढ़ आने पर ही न हो, अभी से व्यवस्था करना शुरू कर दीजिये.