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स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े बदलाव की तैयारी, इमरजेंसी में भी होगा व्यापक सुधार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाने की तैयारी है. इससे खासतौर पर किसी इमरजेंसी में भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी. साथ ही एक ही एक कॉल पर एंबुलेंस से लेकर अस्पतालों तक में तुरंत प्रवेश मिलेगा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

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Published : Jul 29, 2022, 10:15 PM IST

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाने की तैयारी है. इससे खासतौर पर किसी इमरजेंसी में भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी. साथ ही एक ही एक कॉल पर एंबुलेंस से लेकर अस्पतालों तक में तुरंत प्रवेश मिलेगा. इस बाबत सैद्धांतिक रूप से मुख्य सचिव ने सहमति दी है. जल्द ही इसका प्रस्तुतीकरण सीएम योगी के सामने भी किया जाएगा.


सीएम योगी ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को आम लोगों के लिए सहज बनाने के लिए एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज सहित कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाया है, लेकिन अब यूपी देश में पहली बार लाइव इमरजेंसी मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने वाला प्रदेश बनने जा रहा है. इस योजना को लागू करने के लिए कोविड कमांड सेंटर की तर्ज पर इंटीग्रेटेड ट्राॅमा और इमरजेंसी सेंटर की स्थापना की जाएगी. साथ ही एंबुलेंस और प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ में वृद्धि की जाएगी. इससे अनुमानत: हर वर्ष तीन लाख मरीजों का उपचार होगा और रोजाना 40 हजार लोगों की कॉल अटेंड करने की क्षमता होगी. इस कार्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और एम्स प्रशिक्षण और गैप एनालिसिस में सहयोग देगा. योजना को लेकर कार्य शुरू हो चुका है, जल्द ही सीएम योगी इसकी घोषणा करेंगे.


चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए दिसंबर 2023 तक मध्यकालीन और दिसंबर 2026 तक दीर्घकालीन रणनीति बनाई गई है. दो वर्ष में कॉल सेंटर और मोबाइल ऐप तैयार किया जाएगा. साथ ही चार लेवल वन, चार लेवल दो और चार लेवल तीन के आकस्मिक चिकित्सा केंद्रों को क्रियाशील किया जाएगा. ऐसे ही दीर्घकालीन रणनीति के तहत करीब चार हजार एंबुलेंस क्रियाशील की जाएंगी. नौ लेवल वन, 10 लेवल दो और 27 लेवल तीन के आकस्मिक चिकित्सा केंद्र क्रियाशील किए जाएंगे.


पूरी योजना को लागू करने के लिए 47 मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों में ट्राॅमा सेंटर खोले जाएंगे. इसमें लेवल थ्री और टू स्तर के मेडिकल कॉलेजों को लेवल वन में अपग्रेड किया जाएगा. साथ ही ट्राॅमा और इमरजेंसी में बेडों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी. अगले पांच वर्ष में ट्राॅमा और इमरजेंसी में उपचार के लिए इमरजेंसी मेडिसिन और ट्राॅमा सर्जरी विभागों में चिकित्सा शिक्षकों की बढ़ोतरी की जाएगी, जिससे रेजीडेंट डॉक्टर्स की डिग्री कोर्सेस (एमडी, एमएस) की सीटों में वृद्धि हो सकेगी. इसके अनुसार इमरजेंसी मेडिसिन और ट्राॅमा केयर टेक्निशियन का प्रशिक्षण भी कराया जाएगा.
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दिसंबर 2023 तक एसजीपीजीआई, गोरखपुर, कानपुर, मेरठ, कन्नौज, बदायूं, अयोध्या, नोएडा, बस्ती, शाहजहांपुर, फिरोजाबाद और बहराइच को अपग्रेड किया जाएगा. दिसंबर 2026 तक सैफई, आगरा, आरएमएलआईएमएस, झांसी, प्रयागराज, चाइल्ड पीजीआई, बांदा, सहारनपुर, जालौन, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर, हरदोई, एटा, फतेहपुर, देवरिया, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और 14 अन्य मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड किया जाएगा.

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