गोरखपुर: रोडवेज बस से यात्रा करना गोरखपुर क्षेत्र (Transport Corporation in Gorakhpur) में जान जोखिम में डालने से कम नहीं है. विभाग के आंकड़े के मुताबिक यहां परिवहन निगम की कुल 455 बसें संचालित होतीं हैं, जिसमें आधे से अधिक बसें खटारा (gorakhpur buses soured) हो चुकी हैं. इन खटारा बसों के अलावा नई बसों के बेड़े में शामिल न होने से यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
जर्जर और खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है. 205 बसें अपनी मियाद पूरी कर चुकीं हैं और 80 बसें नीलाम होने की स्थिति में हैं. फिर भी इन्हे परिवहन नियमों के विपरीत सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है और पर्यावरण में जहर भी घोला जा रहा है.
जानकारी देते क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन पीके तिवारी बसों की आयु सीमा की बात करें तो यह अधिकतम 10 वर्षों तक सड़कों पर दौड़ सकती हैं. इसके बाद यह नीलाम करने योग्य मानी जाती हैं लेकिन जब बेड़े में बसों की संख्या ही न हो तो परिवहन निगम को यात्रियों को ढोने के लिए इन्हें मरम्मत करके सड़कों पर दौड़ाना मजबूरी हो जाती है. परिवहन सेवा गोरखपुर क्षेत्र (Transport Service Gorakhpur Region) के प्रबंधक पीके तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि कंडम हो चुकीं 14 बसों को अभी हाल ही में नीलाम किया गया है. गोरखपुर क्षेत्र को नई बसें मिलने वाली हैं.
प्रदेश सरकार करीब 1100 बसों (Transport Corporation in Gorakhpur) को खरीद रही है. आने वाले दो चार महीने में धीरे-धीरे रीजन में 50 बसें बेड़े में शामिल हो जाएंगी, तो यह समस्याएं दूर हो जाएगी. हालांकि, इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी बसों को नियमित जांच के बाद ही सड़कों पर उतारा जाता है.
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रोडवेज के पास अपनी सरकारी बसों (Transport Corporation in Gorakhpur) के अलावा 300 अनुबंधित बसें भी हैं. जो इन सड़कों पर फर्राटे से दौड़ लगाती हैं. लेकिन निगम की बसों की दशा बेहद खराब है. इतनी कमियों के बीच गोरखपुर क्षेत्र को अभी मात्र 10 बसें ही मिली हैं, जो BS6 मॉडल की हैं जिससे प्रदूषण होने का खतरा नहीं है. गोरखपुर डिपो से रोजाना 10 से 12 हजार यात्री विभिन्न क्षेत्रों के लिए रवाना होते हैं. ऐसे में और बेहतर बसों का संचालन यहां से जरूरी है. यात्री मजबूरी में खटारा बसों से यात्रा करने को तैयार होते हैं. रोडवेज की कार्यशाला में ऐसी 32 खटारा (gorakhpur buses soured) बसें खड़ी है. जिनकी कई तरह के पार्ट के अभाव में मरम्मत नहीं हो पा रही है. इसके साथ ही कार्यशाला में बारिश और नाले का पानी भी जमा हो जाता है. यह भी एक बड़ी समस्या है.
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