प्रयागराज: आनंद गिरी के वकीलों की तरफ से यह भी आरोप लगाया गया है कि जेल के अंदर मुलाकात करने के दौरान मंगलवार की शाम को उनके सामने डिप्टी जेलर ने आनंद गिरि के साथ बदसलूकी करते हुए मारपीट करने की कोशिश की और जान से मारने के लिए धमकी भी दी. हालांकि जेल प्रशासन ने आनंद गिरि के वकीलों के सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
20 सितंबर 2021 को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का शव उनके मठ में कमरे के अंदर फंदे से लटका हुआ पाया गया था. साथ ही वहां मिले सुसाइड नोट के आधार पर आनंद गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार किया गया था. मामले की सीबीआई जांच के बाद से केस कोर्ट में चल रहा है और हाईकोर्ट में आनंद गिरि के जमानत के मामले की सुनवाई चल रही है.
जेल प्रशासन पर आनंद गिरि के वकील ने लगाए आरोप: अपने गुरु को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में जेल में बंद आनंद गिरि से मुलाकात करने के लिए उनके वकील मंगलवार को नैनी सेंट्रल जेल गए थे. जेल से वापस आने के बाद आनंद गिरि वकीलों ने आरोप लगाया कि जेल के अंदर उप अधीक्षक आनंद गिरि के साथ बदसलूकी करते हैं. वकीलों का यह भी आरोप है कि उनके सामने भी उसने आनंद गिरि के साथ बदसलूकी की. इसके साथ ही वकीलों के सामने ही आनंद गिरि के साथ मारपीट की कोशिश की और जान से मारने के लिए धमकाया भी.
आनंद गिरि से मिलने गए वकील विजय द्विवेदी ने आरोप लगाया कि जब वो आनंद गिरि से बातचीत कर रहे थे, उसी समय डिप्टी सुपरिटेंडेंट आर के सिंह वहां पहुंचे और वकीलों व दूसरे लोगों की मौजूदगी में आनंद गिरि से बदसलूकी करते हुए जान से मारने की धमकी दी. वकीलों का यह भी आरोप है कि बीच बचाव करने पर उनके साथ भी बदसलूकी की गई. जेल से निकलने के बाद आनंद गिरि के वकील विजय द्विवेदी व बृज बिहारी ने इस मामले की शिकायत शासन प्रशासन से भी करने की बात कही. उन्होंने बताया कि घटना की शिकायत प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह के साथ स्थानीय प्रशासन और जिला जज को भी दी है.
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जेल प्रशासन ने सभी आरोपों को बताया बेबुनियाद: आनंद गिरि के वकीलों के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को नैनी सेंट्रल जेल वरिष्ठ जेल अधीक्षक पी एन पांडेय ने बेबुनियाद बताया है. उनका कहना है कि आनंद गिरि बिना किसी खास बीमारी के अस्पताल में भर्ती होना चाहते थे, जो नहीं थी. इसके साथ ही मंगलवार को उनके वकील नियमों के विपरीत इस केस से जुड़े दो दूसरे आरोपियों से भी मिलना चाहते थे, जिसकी उन्हे इजाजत नहीं दी गई. जेल मैनुअल का पालन करते हुए इजाजत नहीं दिए जाने की वजह से वकील जबरन आरोप लगा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि जेल के अंदर आनंद गिरि या किसी भी बंदी के साथ कोई बदसलूकी नहीं हुई है.
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