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रिटायर्ड करोड़पति स्टेनो के खिलाफ मुकदमा दर्ज, विजिलेंस की जांच में अन्य अधिकारी भी फंसे

विजिलेंस की जांच में रिटायर्ड स्टेनो की अर्जित संपत्ति 97.33 लाख रुपये पाई गई है. विकास प्राधिकरण में अवैध काम कराने का ठेका लेना, बिल्डरों को लाभ पहुंचाना समेत अन्य तरीकों से धन कमाने की शिकायत पर वीरेंद्र कुमार पर मुकदमा दर्ज किया गया है.

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रिटायर्ड करोड़पति स्टेनो के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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Published : Aug 22, 2022, 11:37 AM IST

Updated : Aug 22, 2022, 1:04 PM IST

आगरा:विजिलेंस की जांच में मथुरा-वृंदावन विप्रा के रिटायर्ड आशुलिपिक (स्टेनो) वीरेंद्र कुमार अग्रवाल फंस गए हैं. रिटायर्ड स्टेनो के खिलाफ शासन के निर्देश पर आय से अधिक व्यय करने की विजिलेंस ने जांच की थी. जांच रिपोर्ट के बाद अब विजिलेंस ने रिटायर्ड स्टेनो वीरेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया है. इसमें लिखा है कि जांच में रिटायर्ड स्टेनो वीरेंद्र कुमार अग्रवाल की आय 97.33 लाख रुपये मिली. जबकि, उसने 2.91 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

बता दें कि विजिलेंस के थाना में मथुरा-वृंदावन विप्रा के रिटायर्ड स्टेनो वीरेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. वीरेंद्र अग्रवाल के ठाठबाठ और रहन-सहन के शाही अंदाज पर शासन ने विजिलेंस से जांच कराई. क्योंकि, विकास प्राधिकरण में अवैध काम कराने का ठेका लेना, बिल्डरों को लाभ पहुंचाना समेत अन्य तरीकों से धन कमाने की शिकायत भी लगातार शासन को मिल रही थीं.

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इस पर विजिलेंस ने जांच की तो रिटायर्ड स्टेनो वीरेंद्र कुमार अग्रवाल की निर्धारित अवधि में आय के समस्त ज्ञात और वैध स्रोतों से अर्जित संपत्ति 97.33 लाख रुपए पाई गई. जबकि, उसने परिसंपत्तियों के अर्जन और भरण-पोषण पर 2.91 करोड़ रुपए खर्च किये. यानी कि, उसने अपनी आय के सापेक्ष 199 फीसद अधिक व्यय किया है. विजिलेंस ने यह रिपोर्ट मार्च 2022 को शासन को भेजी थी. इस पर एफआईआर कराने के आदेश मिले है. मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के रिटायर्ड स्टेनो वीरेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद विभाग में खलबली मच गई है.

विकास प्राधिकरण में मची खलबली, मिलीं तमाम शिकायतें

विजिलेंस ने वीरेंद्र कुमार अग्रवाल के मामले की जांच की विवेचना में कमाई के जरिए का भी खुलासा किया जायेगा. आरोपित के खिलाफ साक्ष्यों के आधार पर कानूनी कार्रवाई गई है. ऐसी ही शिकायतें दूसरे जिलों के विकास प्राधिकरणों और अन्य विभागों में तैनात कर्मचारियों के खिलाफ विजिलेंस को मिलीं हैं.

इनमें कई कर्मचारी तो ऐसे हैं, जिनकी आमदनी कम है और रहने का अंदाज शाही है. उन्होंने आलीशान बंगले बना लिए हैं.रिश्तेदारों के नाम से प्लाट खरीदे हैं. लग्जरी गाड़ियां हैं. पत्नी और बच्चों की फर्जी कंपनी दिखाकर हर साल आयकर रिटर्न भरते हैं. तमाम तरीकों से कर्मचारी अपनी नंबर दो की कमाई को नंबर एक करने में लगे हुए हैं.

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Last Updated : Aug 22, 2022, 1:04 PM IST

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